________________ श्री तेरहद्वीप पूजा विधान [223 SwarSarararararararararSarararwar सरस सु उज्जल चंद्र किरन सम अक्षत धोय सु लावत हैं। पुंज देत जिनराज सु आगे, अक्षयपदको पावत हैं / मंदिर गिर. // 4 // ॐ ह्रीं. // अक्षतं॥ कमल केतकी फूल मनोहर, वरन वरनके लावत हैं। कामबाणके नाश करनको, श्री जिन पूजत आवत हैं। मंदिर गिर. // 5 // ॐ ह्रीं. // पुष्पं // गोझा फेनी मोदक खाजे, ताजे तुरत बनावत हैं। क्षुधारोगके दूर करनको, श्री जिनचरण चढ़ावत हैं। मंदिर गिर. // 6 // ॐ ह्रीं. // नैवेद्यं॥ जगमग जोत होत दीपककी, रत्न अमोलक द्युति भारी। पूजत श्री सर्वज्ञ प्रभुको, मोह तिमिरको क्षयकारी॥ __मंदिर गिर. // 7 // ॐ ह्रीं. // दीपं॥ महकै धूप दशोंदिश परिमल, खेवत श्री जिनवर आगै। नाश होय वसुविध कर्मादिक, ज्ञानकला तप ही जागै॥ मंदिर गिर. // 8 // ॐ ह्रीं. // धूपं॥ लौंग छुहारे पिस्ता किसमिश, सुन्दर फल भवि लावत हैं। पूजत श्री जिनराज चरनको, मनवांछित फल पावत हैं। ___ मंदिर गिर. // 9 // ॐ ह्रीं. // फलं॥ वसुविध दर्व मिलाय गाय गुण, अर्घ बनावत भर थारी। पूजत चरनकमल जिनवरके, है सबका मंगलकारी॥ मंदिर गिर. // 10 // ॐ ह्रीं. // अर्घ /