________________ 10] श्री तेरहद्वीप पूजा विधान ================ = बाकी एक शतक द्वै वर्जित इन्द्र आपनी सनसो लाय, हम पूजत आह्वानन करकैं अपने घरमें मंगल गाय॥ दोहा-देख दरश जिनराजके, होत परम आनन्द। भव्यजीव सम्यक् लहैं, कटैं कर्मके फन्द॥६६॥ ऐसे श्री सर्वज्ञ पद, पूजत इन्द्रसो सर्व। परम हर्ष धारै सुउर, लेले वसु विध दर्व॥६७॥ अथ अष्टप्रकार द्रव्य वर्णन (सवैया इकतीसा) क्षीरोदधि समसार उज्जल वरण नीर, चंदन पवित्र घस केसर मिलायकै। अक्षत मनोज्ञ मानो मोती हैं बिराजमान, फूल नाना भांतिके सुगंधित मंगायकै। नेवज अनेक भांति तुरत बनाय लाय, जगमग जोति होत दीपक जगायकै। खेवत सुगंध दश दिश मांही फैल रही, ___फल ले सुफल पाय देवकू चढायकै॥१८॥ उज्जलसु जल लाय चंदन सुगंध भरो, __ अक्षत मनोज्ञ श्वेत घायकै सुलायकै। सुन्दर सुफूल नाना भांति सुगन्ध भरे, नेवज मनोहर सु तुरत बनायकै। जगमग जोति दीप धूपहु सुगन्ध भरी, लावत हैं फल महामिष्टको मंगायकै।