________________ श्री तेरहद्वीप पूजा विधान [179 CururunurinnupuuroDNRNRUNNURORIN अथाष्टकं - चाल दीपचन्दी छन्द सुरपतिपूजन आवै,तनमनप्रीति लगावैंसुरपति पूजन आ टेक क्षीरोदधिको नीर जो लावै कंचन कलश भरावें। इक्ष्वाकार शिखर जिनमंदिर, श्रीजिनचरण बहावै।।सुरपति॥ ____ॐ ह्रीं धातुकी द्वीप मध्ये विजय अचलमेरुके उत्तर दिश दोनों ऐरावत क्षेत्रके बीच इक्ष्वाकार पर्वतपर सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो॥१॥ जलं॥ परम लता गुण शीतल चंदन केसर रंग मिलावै। इक्ष्वाकार. // सुरपति.॥३॥ ॐ ह्री. चंदनं // अमल अदोखे उज्जल चोखे, तंदुल पुंज दिवावै / इक्ष्वाकार. // सुरपति.॥४॥ ॐ ह्रीं. अक्षतं॥ फूले फूल विकाश सुवासी, सब रितुके चुन लावै। इक्ष्वाकार. // सुरपति. // 5 // ॐ ह्रीं. पुष्पं॥ नाना विध नेवज भर थारी, ताजे तुरत बनावै। ____इक्ष्वाकार. // सुरपति.॥६॥ ॐ ह्रीं. नैवेद्यं॥ रतनमई दीपक दुति धारा, जगमग जोत जगावै। इक्ष्वाकार. // सुरपति.॥७॥ ॐ ह्री. दीपं // अगर सुगन्ध दशों दिश महके, दस विध धूप खिवावै। इक्ष्वाकार. // सुरपति.॥८॥ ॐ ह्रीं. धूपं // फल उत्कृष्ट मधुर गुन भारी, कोमल सरस मंगावै। इक्ष्वाकार. // सुरपति.॥९॥ ॐ ह्रीं. फलं॥ जल फल अर्घ बनाय गाय गुण, लाल सदा सिर नावै। इक्ष्वाकार. // सुरपति. // 10 // ॐ ह्रीं. अर्ध /