________________ किं तु राजा दृढं भीमः] महाभारतस्थ. [किं त्वं हससि वीक्ष्य माम् किं ते विपुल दृष्टं वै 13. 43, 2". किं ते विवक्षया वीर 6. 112.82%. किं ते विवक्षितं चात्र 12.54. 24deg. किं ते वै जात्वबान्धवाः 12. 149.56. किं ते व्यवसितं राजन् 6.41. 11". किं ते व्यवसितं वीर 3. 235.2%. किं तेषामजितं युधि 7. 9. 700. किं तेषां दुःखसंभवः 7. 308.2 post. किं ते सख्यं सुधन्धना 5.35. 184. किं तु राजा दृढं भीमः 3. 307*. 1 pr. किंतु रोषपरीतेन 4.853*.2 pr. किं तु रोषान्वितो जन्तुः 7. 131. 58. किं तु लघ्वर्थसंयुक्तं 1. 90.26. किं तु वासाय राष्ट्राणि 4. 1.86. किं तु सर्वापराधोऽयं 14. 79. 5. किं तु संक्षेपतः शीलं 12. 86. 6". किं तु संजय मे ब्रूहि 5. 56. 45deg. किंतु संबन्धकं तुल्यं 5.5.30. किं तु सौहृदमेवैतत् 5. 74. 18. किं तु स्नेहवशाब्याघ्र 13. App. 20. 85 pr. किं तु स्वाम्यर्थयुक्तैस्तु 7. 477*. 2 pr. किं तु स्वेनास्मि संतुष्टः 12. 112. 296. किं ते करिष्यन्त्यवशाः सपत्नाः 2. 60. 184. किं ते करोमि वै कामं 6. 126*. 1 pr. किं ते कर्म प्रियं विभो 14. App. 4. 1978 post. किं ते काम करोम्यहम् 3. 317*. 2 post. किं ते कुन्ति ददाम्यद्य 1. 1205*.2 pr. किं ते चिरं मामनुवृत्य रूक्षम् 8. 49. 103". किं ते जनक्षयेणेह 5. 122. 51". किं ने ज्ञातैर्मूढ महाधनुर्धरैः 3. 254. 4". किं ते तद्विस्मृतं पार्थ 15. 17. 22". किं ते दारैर्ब्राह्मण यो मरिष्यसि 12. 169. 36. किं ते दैवबलाच्छापं 13. 6. 41. किं ते द्यूतेन राजेन्द्र 4. 63.33". किं ते धनेन किं बन्धुमिस्ते 12.309.71". किं ते धनैर्बान्धवैर्वापि किं ते 12. 169. 36%. किं तेन न कृतं पापं 1. 68. 26deg. 5. 252*.2 pr. 12. App18.57 pr. 13. App. 20. 325 pr. किं तेन नृपसूनुना 1. App. 25. 2 post. किं तेन स्याद्वसु विन्देह पार्थान् 2. 56. 94. किं ते पुत्रेण कर्तव्य 13. App. 20.98 pr. किं ते पुत्रैः पुत्रक यो मरिष्यसि 12. 309. 71'. किं ते प्रियं करवाण्यद्य वत्से 1.71. 44. किं ते प्रियं करवामोऽद्य विद्वन् 1. 53. 19. किं ते प्रियं वै क्रियतां महर्षे 3. 113. 13. किं ते मुखं शुष्यति दीनवर्णम् 3. 253. 11. किं ते मुखं सुन्दरि न प्रसन्न 4. 629*. 21. किं ते युद्धेन बालक 7. 114.794. किं ते योधैर्निपातितः 3. 255. 38. किं ते राज्येन कौन्तेय 12. 39. 27. किं ते राज्येन दुर्धर्ष 6. 4. 80, किं ते सुखप्रियेणेह 5. 123. 17". किं ते सूर्यो निपात्यते 13. 97. 27t. किं ते सूर्योऽपराध्यते 13. 97. 194. किं ते हत्वा युधिष्ठिरम् 8. App. 18. 110 post. , 110A 4 post. किं ते हिडिम्ब एतैर्वा 1. 141.24. किं ते हृदि विवक्षितम् 13. 51. 486. किं तैनं पातितो भूप 1. App. 84. 22 pr.. किं त्वतः कृपणं भूयः 2. 62.8". किं त्वत्र संविधातव्य 1. 33. 31". किं खद्दर्शनसंमितम् 14. App. 4. 3128 post. किं त्वद्य यदि ते श्रद्धा 14. 55. 19". किं त्वधर्मेण वर्तन्ते 8. App. 2. b pr. किं त्वया पार.कं कर्म 13. 50*.2 pr. किं स्वया पापकं कर्म 13.9. 10*. किं त्वस्ति तत्र द्वेष्टारः 3. 183.7". किं स्वस्ति मम संदेहः 13. 71.40. किं त्वस्य चरणौ दृष्ट्वा 2. App. 38. 143 pr. किं त्वस्य सुकृतं कर्म 3. 45. 130. किं स्वस्याः परमं रूपं 13 21. 23deg. किं त्वं कार्य चिकीर्षसि 1. 588*. 1 post. किं त्वं तत्रैव नागतः 5. 121*. 1 post. किं त्वं यूतं प्रशंससि 2.53.24. किं त्वं नकुल कुर्वाणः 4.3. 1". किं त्वं न वेद तद्भुयः 5. 41. 40. किं त्वं नैवोपसर्पसि 12. 136. 1200. किं त्वं मानुष्यकं स्नेहं 17. 3. 31. किं त्वं मूर्खः प्रभवन्मूढचेताः 8. 29. 19". किं त्वं यास्यसि सुश्रोणि 4. 306*. 1 pr. किं त्वं श्येन प्रपश्यसि 3. 131.44. किं त्वं सममिशङ्कसे 4. 293*. 5 post. किं त्वं साक्षाद्धनुर्वेदः 1. 181. 16". किं त्वं हससि वीक्ष्य माम् 13. 10, 44", -738