SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 709
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ कायारप्रकृत्तं युधि सव्यसाचिन् ] श्लोकपादसूची [कारणं यदि न स्या कायात्प्रकृत्तं युधि सव्यसाचिन् 8. 46. 42". कायावरणभेदिनः 4.55. 150. कायावरणभेदिना I. App. 99. 9A 1 post. कायिकं यच्च दुष्कृतम् 11. 83*. 3 post. कायेन त्रिविधं कर्म 12. App. 29B. 214 pr. 13. 13.20. कायेन पन्यां हस्ताभ्यां 13. App. 10. 269 pr. कायेन मनसा बुद्ध्या 6. 27. 11. कायेनावृत्य कन्दरम् 3. 175. 12. काये प्रवेशयामास 4.21.59. काये प्रावेशयच्छिरः 10. 8. 111. कायेभ्यः प्रच्युता धारा 3. 157. 45deg. कायेभ्योऽपाहरच्छरैः 7. 64. 34. कायेभ्यो हयसादिनाम् 6. 101: 184. काये मत्स्या इमौ राजन् 1. 57. 50deg. काये मनसि वाक्ये च 13. 572*. 2 pr. काये मनसि वा भवेत् 12. 187. 30%; 212. 29, 31%; 239.21. 13. App. 15. 4131 post. काये विषक्तास्तु तदा 5. 180. 29". कायेषु विदितं तुभ्यं 5. 177.20. कायो नास्ति च तेषां वै 12. App. 18. 26 pr. कायोऽस्य पश्चाद्धरणीं जगाम 8. 1158*. 2. कारकश्चेति विश्रुतम् I. App. 66. 18 post. कारकं चेति विश्रुतम् 12. App. 13. 18 post. कारणत्वे प्रकल्प्यन्ते 13. 1. 31. कारणद्वयमास्थाय 6. 114. 320. कारणद्वयमेतद्धि 7. 85. 98deg. कारणस्य च कर्तुश्च 12. 59.55. कारणस्य तु दौर्बल्यात् 5. 102. 14". कारणस्येव वेदना 12. App. 18.5 post. कारणं कारणस्य च 13. 136. 18. कारणं कारणं चैव 13. App. 14. 155A 2 pr. कारणं काल एव हि 12. 153. 11d. कारणं किं च तत्प्रभो 9. 41. 2. कारणं किं नु तद्राजन् 17.2.5. कारणं किं पुरस्कृत्य 1. 173. 1. कारणं किं भवेदिति 13. 147.6. कारण कीर्तितं ब्रह्मन् 1. 220. 2. कारणं क्षेपसर्गयोः 12. 306. 42. कारणं गुणसङ्गोऽस्य 6. 35. 21. कारणं च न बुध्यते 9. 35. 360. कारणं च न विद्महे 9. 46. 14. 13. 109. 11. कारणं च महाराज 12.56. 44. कारणं च विशां पते 12. 336. 82. कारणं चात्मनो यसौ 12. App. 20. 105 post. .. कारणं चात्र किं मुने 3. 104. 3. कारणं चात्र मे शृणु 2. App. 21. 4 post. कारणं चात्र वक्ष्यते 12. 189. 8. कारणं चाथ मथने 1. 261*. 1 pr. कारणं चापि नारद 12. 326. 45. कारणं चापि पौरुषे 3. 186. 16. 5. 128. 50. कारणं चैव तत्तेषां 3. 155.7deg. कारणं जगतस्तथा 7. App. 18. 24 post. कारणं जगतः परम् 12. 185*. 4 post.; 280*. 1 post. कारणं तत्र भामिनि 3.73.3. कारणं तत्र भारत 3.207. 186. कारणं तत्र मे ब्रूहि 13. 118. 3. कारणं तद्रवीहि मे 12. 124. 320; App. 32. 11 post. कारणं तन्निबोधथ 1.315*. 1 post. कारणं तस्य जन्म च 12. 49.1". कारणं तस्य देहोऽयं 3.33. 21.12.203. 380. कारणं तस्य नाशने 8.5.761. कारणं तु प्रवक्ष्यामि 12. 295. 11:. कारणं ते महात्मनाम् 15. 38*. 1 post. कारणं त्वं भविष्यसि 2.66.31". कारणं धर्मवेदवित् 14. 121*. 3 post. कारणं नाधिगच्छामि 12. 1. 42. कारणं नास्य विद्यते 14. 34. 5. कारणं परमं प्राप्य 12. 243. 230. कारणं पुरुषो येषां 12. 335. 82. कारणं पृच्छ भगवन् 12. App. 17A. 98 pr. कारणं प्राप्य तु नराः 5. 167. 11". कारणं बन्धमोक्षयोः 13. 295*. 1 post. कारणं बलमेवेह 3. 31. 42". कारणं ब्रूहि कल्याणि 9. 42. 90. कारणं ब्रूहि गन्धर्व 1. 159. 1". कारणं ब्रूहि तत्र वै 13. 133. 454. कारणं ब्रूहि धर्मात्मन् 13. 121.6. कारणं ब्रूहि नः सबै 9. 34. 61". कारणं भरतश्रेष्ठ 6.61. 23deg. कारणं भावितं तस्य 13. 17. 159". कारणं मम चैवेमं 12. App. 17A. 105 pr. कारणं मम यो गन्धः 12. App. 17A. 60 pr. कारणं मम रूपं यत् 12. App. 17A. 85 pr. कारणं मे जलं मत्तः 12. App. 17A. 65 pr. कारण मेऽत्र संपृच्छ 12. App. 17A. 70 pr. कारणं यदि न स्याद्वै 13. 1. 36*. -01
SR No.032840
Book TitlePatrika Index of Mahabharata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshuram Lakshman Vaidya
PublisherBhandarkar Oriental Research Institute
Publication Year1967
Total Pages808
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue
File Size25 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy