________________ कर्म कारयितुं चैव] महाभारतस्थ [कर्मणस्तस्य नाशस्तु कर्म कारयितुं चैव 5. 162.8. कर्म कारयिथाः शूर 4. 45. 12. कर्मकाले ग्रहीष्यामि 1. 174.4.. कर्मकाले पुनर्देहं 3. 187. 30%. कर्मकाले महाद्युते 12. 25. 14. कर्मकालोऽयमागतः 3.270. 194. कर्म किं तन्महामुने 13. App. 1A. 172 post. कर्म कुर्यादकल्मषम् 12. 207. 27. कर्म कुर्याम संयुगे 7. 16. 36. कर्म कुर्यामहं हि ते 6. 274*. 4 post. कर्म कुर्वन्ति मानवाः 14. App. 4. 592 post. कर्म कुर्वन्न लिप्येत 13. App. 15. 1554 pr. कर्म कृत्वा जुगुप्सितम् 12. 281. 18. कर्म कृत्वात्मशक्तितः 12. 286. 24. कर्म कृत्वा नराधिप 1. 668*. 1 post. कर्म कृत्वा नरो भोक्ता 13. App. 15.2200 pr. कर्म कृत्वा रणे शूर 8. 17. 53. कर्म कृत्वा सुदुष्करम् 14.59. 244. कर्म कृत्वेह मानुषः 13. App. 15. 2158 post. कर्म केचित्प्रशंसन्ति 14. 48. 199%3 50. 30deg. कर्मकोशः क्व तिष्ठति 3. 181. 21". कर्मकौशलमाहवे 1. App. 97.5 post. कर्मक्षयाच्च ते सर्वे 14. 17. 376. कर्मक्षये तु संप्राप्ते 13. App. 15. 2360 pr. कर्मक्षेत्रं सुदुर्लभम् 13. App. 14. 1 post. कर्मक्षेत्रं हि मानुष्यं 13. App. 15. 1396 pr., 3583 pr. कर्म खल्विह कर्तव्यं 3. 33. 30. कर्मगभैंर्गुणैर्देही 12. 206. 14.. कर्म घोरां च शर्वरीम् 8. 62*.3 post. कर्म च प्रथयेन्नरः 13. 36. 300. कर्म चायं महात्मनः 7. 41.94. कर्म चाण्डालवत्स्वयम् 7. 169. 30*. कर्म चातीत्य सर्वशः 12. 229. 25. कर्म चात्महितं कार्य 12. 137.79%. कर्म चात्र निशाम्यते 5. 107.64. कर्म चानुत्तमं शुभम् 12.236*. 1 post. कर्म चापि चतुर्विधम् 12. 279. 136. कर्म चारभते दुष्टं 5. 33. 33deg. कर्म चारभते पुनः 12.265.4. कर्म चारभते महत् 3. 201. 3. कर्म चाविद्यया हतम् 14.93*.9 post. कर्म चास्मै प्रयोजयेत् 3. 33. 511. कर्म चास्यातिमानुषम् 1. 68. 9. कर्म चास्याददे मुनिः 1. App. 79. 85 post. कर्म चेच्छामि वै कर्तु 4. 8. 4. कर्म चेच्छाम्यहं कर्तुं 4. 8. 8. कर्म चेकिंचिदन्यत्स्यात् 3. 198. 42*. कर्म चेत्कृतमन्वेति 3. 31. 41". कर्म चेदफलं भवेत् 3. 116*. 1 post. कर्म चेष्टामिसूचितम् 3. 73. 184. कर्म चैतदसाधूनां 3. 198. 44. 12. 96. 16%. कर्म चैतद्बहुच्छलम् 12. 112. 80*. कर्म चैतद्विलिङ्गस्य 2. 19. 42". कर्म चैव करिष्यसि 12. 106. 2. कर्म चैव कृताकृतम् 3.222. 46. कर्म चैव तदर्थीयं 6. 39. 27. कर्म चैव तदर्पणम् 13. App. 15.530 post. कर्म चैव हि जातिश्च 12. 285. 32deg. कर्म जन्तुः शुभाशुभम् 14. 47. 11'. कर्मजं च भवाप्ययम् 13. App. 3A. 528 post. कर्मजं रिवह मन्येऽहं 12.215. 24deg. कर्मजं बुद्धियुक्ता हि 6.24. 51". कर्मजं वा फलं स्मृतम् 12. 32. 11'. कर्मजा इति च स्मृताः 12. 330. 21. कर्मजा गृह्यते यया 12. 210. 11. कर्म जानात्युपस्थितम् 12. 209. 9. कर्मजानि च कानिचित् 12. 328. 10. कर्मजानि शरीराणि 15. 42. 4. कर्मजान्येव मौद्गल्य 3. 247. 136. कर्मजान्विद्धि तान्सर्वान् 6. 26. 32. कर्मजा हि मनुष्याणां 3. 200. 14". कर्मजैबन्धनैर्बद्धाः 12. 289. 18. कर्मजैब्रह्मणा वृतः 12.206. 18. कर्मजोऽयं पृथग्भावः 12.224. 59. कर्म ज्ञेयात्मक तथा 12. 199.70. कर्म ज्यायो ह्यकर्मणः 6. 25. 8. कर्मणश्चरितस्य वै 12. App. 29E. 156 post. कर्मणस्तत्फलं ध्रुवम् 12. 32. 21'. कर्मणस्तत्फलं विदुः 12. 271. 24. कर्मणस्तद्विधत्स्वेह 14.2. 13. कर्मणस्तस्य घोरस्य 3. 199. 17'. कर्मणस्तस्य तत्फलम् 7.8.30% कर्मणस्तस्य ते प्राप्तं 1. 101. 24. कर्मणस्तस्य दुर्मते 9. 27. 47. कर्मणस्तस्य दुर्वृत्त 7. 1123*. 1 pr. कर्मणस्तस्य नाशस्तु 13. App. 15. 2174 pr. -662