________________ कथं निद्रां निषेवसे ] श्लोकपादसूची [कथं पाण्डोर्न नश्येत कथं निद्रां निषेवसे 4. 16. 100. कथं निधनमापनः 1. 45. 18*. कथं निर्वेदमापन्नः 12. 309. 1". कथं निवृत्तिधर्माश्च 12. 327. 3. कथं निवृत्तो भगवान् 13. 22.12. कथं नु कर्णार्जुनयोर्विमर्दे 8. 1175*. 1. कथं नु कुर्यामहमाहवे भयम् 7. 2. 14". कथं नु कुसुमावाप्तिः 3. 146. 37". कथं नु कृष्ण पापेन 10. 17. 20. कथं नु क्षत्रियः पार्थः 3. 45. 12. कथं नु खलु कर्तव्यं 12. 142. 36". कथं नु जीवितं श्रेयः 2. 49. 23. कथं नु तत्स्यादिति तत्कुतः स्यात् 3. 225. 26". कथं नु तस्य संग्रामे 12. 1. 43". कथं नु तस्यानाथायाः 3. 176. 36deg. कथं नु तावयुध्येतां 7. 106.7deg... कथं नु ते सखी दासी 1. 76. 10*. कथं नु त्यक्तदेहानां 15. 42. 2. कथं नु त्वां सूतपुत्रः किरीटिन् 8. 65. 14. कथं नु दृष्ट्वा पाञ्चालीं 5.79. 30. कथं नु देवाञ्जानीयां 3.54. 12deg.. कथं नु देवा हविषा 3. 93. 26". कथं नु धर्म धर्मज्ञैः 11. 13. 19". कथं नु न भवेत्सत्यं 9. 12. 350. कथं नु नहुषो राज्यं 5. 16. 226. कथं नु नारी भर्तारं 3.74. 21". कथं नु परियास्यामः 1. App. 81. 22A 1 pr. कथं नु पाण्डवानां च 11. 20. 18. कथं नु पाण्डवा राजन् 9. 29. 65deg. कथं नु पापकं कर्म 4. 694*. 4 pr. कथं नु पापोऽयमपेतधर्मः 8. 1049*. 1. कथं नु पार्षतस्तात 7. 8. 3". कथं नु पुरुषव्याघ्रः 7. 130. 70. कथं नु पुरुषः कुर्यात् 12. 136. 8deg. कथं नु प्रहरेद्रणे 7. 131.34. कथं नु प्राप्यते शीलं 12. 124. 30. कथं नु भवितास्येकः 3. 60. 10. कथं नु भार्या पार्थानां 3. 13. 53. कथं नु भीमश्च कृपश्च विप्रः 3. 119.9". कथं नु मम कौरव्यः 2. 32. 11". कथं नु मम तत्सर्वं 5.467*. 1 pr. कथं नु मुक्तः पृथिवीं 12. 277. 1". कथं नु मे मनस्विन्याः 1.76. 21". .. कथं नु मे वरः पुत्रः 1. 114. 15. कथं नु यमसादने 1. 116. 26%. कथं नु युद्धं भविता 9. 29. 656. कथं नु राजस्तृषितः 3. 60. 11". कथं नु राजा धर्मात्मा 2. App. 44. 14 pr. कथं नु राजा वृद्धः सन् 15. 2. 8". कथं नु राजा वृद्धः सः 15. 28. 36. कथं नु रैभ्यः शक्तो माम् 3. 139. 20%. कथं नु वातातपकर्शिताङ्गः 3. 225. 11: कथं नु विघ्नो भवति 13. App. TA. 252 pr. . कथं नु विचरिष्यति 3. 144. 224. 4. 3. 144. कथं नु विप्रमुच्येम 1. 137. 21. कथं नु वृद्धमिथुनं 15.29.50. कथं नु वै तत्र गतां 4. 291*. 1 pr. कथं नु शाखास्तिष्ठेरन् 1. App. 81. 35 pr. कथं नु शापेन न मां 13. 91. 17deg. कथं नु स जयेदरीन् 7. 157.54. कथं नु सत्यः शुचिरार्यवृत्तः 3. 225. 96. कथं नु सरणेऽशक्तान् 1. 224. 5. कथं नु सर्वलोकस्य 7. 53. 3. कथं नु सुकृतं च स्यात् 3. 241. 14. कथं नु सुकृतं मे स्यात् 5. 142. 236. कथं नु स्यात्समागमः 1. 37. 584. कथं नु इंसं बलिन 8. 28. 21". कथं नेयादिमामिति 4. 20. 16. कथं नैनं विमार्गस्थं 5. 104. 36. कथं नैनं हनिष्यसि 6. 103. 90f. कथं नो वासविस्त्रायात् 7. 30. 28deg. कथं न्वशक्ता त्राणाय 1. 224. 4". कथं न्वशक्ताः प्लवने 1. 224 2. कथं न्वेतद्भविष्यति 8. 50. 474. कथं पञ्चगुणा बुद्धिः 12. 247. 11. कथं पञ्चेन्द्रिया गुणाः 12. 247. 11. कथं पतितवृत्तस्य 7. 125. 176. कथं पद्यां गमिष्यसि 3. 280. 20. कथं परसुतस्यार्थे 1. 150. 6". कथं परानुभावज्ञः 2. 14. 3". कथं परिचरम्त्येते 13. App. 15. 4333 pr. कथं पश्चात्त्वया क्षत्तः 1. App. 86. 48A 1 pr. कथं पश्येमहि वयं 12.323.21". कथं पाण्डुसुता युद्धे 6. 93. 2. कथं पाण्डुसुताश्चापि 8. 31.7%. कथं पाण्डोर्न नश्येत 15. 23. 3". --- 621 -