________________ अत्रिं विग्रं महावने] श्लोकपादसूची [अथ काकस्य चित्राणि अत्रिं विनं महावने 13. 141. 4. अत्रिः क्षुधापरीतात्मा 13. 95.24. अत्रिः पुत्रान्स्रष्टुकामः 3.212.26%. अत्रेमा द्वादश समाः 3. 25. 110. अत्रे र्यापि भर्तारं 13. 14. 65". अनेर्भार्या सुतं दत्तं 13. 89*. 1 pr. अत्रेश्चाप्यन्वये जाताः 3. 212. 26". अत्रेस्तु बहवः पुत्राः 1. 60.60. अत्रेस्तु सुमहाभाग 1. 61.790. अत्रेः पुत्रश्च धर्मात्मा 13. 151. 350; App. 18. 77 pr. अत्रेः पुत्रश्च भगवान् 12.201.30*. अत्रेः पुत्रो निशाकरः 2. App. 39. 18 post. अत्रे पुत्रोऽभवत्सोमः 7. 119.4". अत्रैकः प्राप्तकालज्ञः 12. 135.30. अत्रैकाग्रेण मनसा 12.338.21'. अबकैकं नृपश्रेष्ठ 3. App. 21A.51 pr. अत्रैतच्छम्बरस्याहुः 12. 128. 33. अबृतदाहुराचार्याः 12. 123. 1903; 132. 11". अत्रैतद्वचनं प्राहुः 13. 9.50. अत्रैव कीर्त्यते सद्भिः 13. 69. 1". अत्रैव च सरस्व या 3. 184. 1". अत्रैव च स्यादवधूय एषः 5. 26. 7. अत्रैव चाविरोधेन 4. 50.703; 910*.6 pr. अत्रैव चेदमव्यग्रः 12. 135. 1". अत्रैव तिष्ठन्क्षत्रिय 5. App. 2.58 pr. अत्रैव नाहुबो राजा 3. 129. 120. अत्रैव परिकीर्तितम् 1. 2. 1754; 128*. 51 post., 66 post.; 137*. 1 post. अत्रैव परिकीर्तिता 1. 2. 844. अत्रैव परिकीर्त्यते 1. 128*. 72 post. अत्रैव पुत्रशोकन 3. 130. 9. अत्रैव पुरुषव्याघ्र 3. 129. 164. अत्रैव प्रतितिष्ठन्ति 3. 160. 150. अत्रैव बहुविस्तरम् 1. 2. 1260%; 128*.65 post., 70 post. अत्रैव ब्राह्मणी सिहा 9.53. 6. अत्रैव भरतो राजा 3. 129. 15. अत्रैव रुद्रो राजेन्द्र 3. 114.70. अत्रैव हि महाराज 12. 12. 17. अत्रैव नावबुध्यन्ते 4. 155*. 1 pr. अत्रैवाक्षेपसंहितम् 1. 2. 1704. अत्रैवात्रेति च विभो 13. 85. 17. अत्रैवाद्भुतसुच्यते 1. 2. 874. अत्रैवावस्थितं सर्वं 12. 210. 36. अत्रैवोक्ता सवित्रासीत् 5. 106. 10. अब्रवोदाहरन्तीमम् 5. 33. 810; 36. 16. 12. 11. 1"; 21. 1"; 20.1:0; 171.67; 219. 1"; 220. 60%3 207. 1"; 75.20. 13.9.103; 95. 14. अग्रसेनसमितेषु राजन 3. 134. 1". अनोच्यते यथा ह्येतत् 12.109.50. अनोत्तराणां सर्वेषां 3. 130. 11. अबोदकमसंशयम् 3. 296. 81. अनोपनिषद पुण्यां 1. 1. 191f. अनोपस्पृश चैव त्वं 3.610*. + pr. अनोपस्पृश्य राजेन्द्र 3. 129. 176 अनोपस्पृश्य सरसि 3. 639*. 6 pr. अपायं प्रवक्ष्यामि 12. 207. 14. अनोपायं यथा सम्यक 5.96. 154. अन मवानां देवानां 5. 107.2. अनोप्य राजशाल 3. 139.24. अत्वगस्थ्यथ वामजं 14. 16.46. अत्वरन्तं त्वरान्वितः 12. 136.81. अत्वरावानसंरब्धः 11.11.12. अथ ऋक्सामयजुयां 13.23*. 11pr. अथ कण्वं तपोधनम् 1.64.25. अथ कन्यापरिवृताः 13. 20. 10. अथ कन्यादाने सः 3.279. 1". अथ कर्णस्य सचिवान 7. 47.bf. अथ कर्णः पुनद्रोणं 7.47.24. अथ कर्णः शरव्रातः 7.109.34 अथ कण स्वमस्त्रेण 8. 32. 31". अथ कर्णोऽब्रवीच्छल्यं 8. 8.52*. 1pr. अथ को भृशं क्रुद्धः 8.32. 31". अथ कर्णो महारथः 7. 111.. अथ कर्म कृतं पापं 3.31. 4:34. अथ कश्चित्कृतग्रन: 1. App. 81.53 pr. अथ कश्चिदृपिस्तेषां 9.50. 41". अथ कस्मात्परानेव 9. 17. 20. अथ कस्मात्पाण्डवानाम् 5.56. 36. अथ कस्मात्प्रलापो ये 5.43. 4. अथ कस्मात्स कौन्तेयः 7. 172.8. अथ कस्मात्स नकुलः 14. 94.60. अथ कस्मात्स्थिता ह्येते 4.42. 16". अथ कम्माहते क्षत्रे 10.8.145". अथ कस्मान्मद्विशिष्टः 1.128. . अथ कस्य विकारो.यं 17. 2. 20. अथ काकस्य चित्राणि 8. 28. 34. प:दसूची-7 - 49 -