________________ अत्र बुद्ध्या समीक्षस्व ] श्लोकपादसूची [अत्रस्तो वाक्यमब्रवीत् अत्र बुद्ध्या समीक्षस्व 7. 69.50. अत्र भग्ना महाजनाः 14. App. 4. 231 post. अत्र भूतपतिर्नाम 5. 97. 124. अत्र भोगवती नाम 5. 107. 190. अत्र मध्ये यथार्कस्य 4 App. 45. 43A 1 pr. अत्र मध्ये समुद्रस्य 5. 108. 11". अत्र मन्त्रैश्च होमैश्च 1. App. 91. 5 pr. अत्र मन्दरकुछुपु 5. 107. 96. अत्र मन्दाकिनी चैव 5. 109. 9. अत्र मन्ये समायत्तः 7. 108. 4". अत्र मानयुतो नित्यं 13. App. 15. 2766 pr. अत्र मानं च कौन्तेय 3. 135. 8. अत्र मायासहस्राणि 5. 98.34. अत्र मां प्रापय क्षिप्रं 7. 91. 156. 8. 20.7". 9.9. 36. अत्र मूल हिमवतो 5. 108. 90. अत्र मे नास्ति संशयः 5.7.73%; 91.64. 18. 5. 4.14. अत्र मे प्रश्नसंदेहः 13. App. 14A. 43 pr. अत्र मे भगवान्सम्यक् 14.3. 18%. अत्र मे महती शङ्का 3.72. 36. अत्र मे सहपक्षस्य 1. App. 81.7A5 pr. अत्र मे संशयश्चैव 12. 160.50. अत्र मे संशयस्तीवः 13. 39. 24. अत्र मे संशयः प्राप्तः 7. App. 8.32 pr. अत्र मे संशयो महान् 12. 48. 100%; 176.54 अत्र यज्ञं समारुह्य 5. 109. 134. अत्र यत्प्रतिपत्तव्यं 2. 37.30. अत्र यत्प्राप्तकालं नः 13. 102. 214. अत्र यद्धितमस्माकं 10. 15.4". अत्र यन्मन्यसे प्राप्तं 8. 34. 226. अत्र यस्त्वन्तिमः पिण्डः 13. App. 14. 62 pr. अत्र या प्रणिपातेन 5. 70. 68. अत्र या मामकी बुद्धिः 4. 47. 16". अत्र युक्तो नरो लोकान् 12. 109. 3. अत्र योत्स्ये सुयोधनम् 4. 889*.7 post. अत्र राक्षसजात्यश्च 5.96. 17". अत्र राक्षसयक्षाणां 5. 109. 8. अव राक्षसराजेन 5. 107. 12. अत्र राजा महेवासः 3. 125.230. अत्र राज्ञा मरुत्तेन 5. 109.200. अत्र राज्येन विप्राणां 5. 109.5. अत्र लब्धवरैः सोमः 5. 106. 11. अत्र लोकत्रयस्यापः 5. 108, 16deg. अत्र लोकत्रयस्यास्य 5. 107.20. अत्र वत्स्यामि दुर्धर्षः 12. 318.56deg. अत्र वायुम्तथा वह्निः 5. 108. 140. अत्र वासस्य तत्फलम् 1. 1600*.2 post. अव्र विद्युत्प्रभा नाम 5. 109. 18. अत्र विपरो भवेत् 14. App. 4. 2962 post. अत्र विश्रम्य भुक्त्वा च 5. 110. 220. अत्र विश्वे सदा देवाः 5. 107. 30. अत्र विष्णुपदं नाम 5. 109. 190. अत्र विष्णुः पुरा देवः 9.53.50. अत्र विणुः सहस्राक्षः 5. 452*. + pr. अत्र वृत्तेन वृत्रोऽपि 5. 107. 136. अत्र वेदाजगौ पूर्व 5. 106. 10%. अत्र वै ऋषयोऽन्ये पि 3. 114. 6. अत्र वैखानसाश्रमः 5. 109. 9. अत्र वैतरणी नाम 5.107. 14. अत्र वै सततं देवाः 3. 131.320. अत्र वै संप्रमुढे तु 12. 56. G". अत्र वै हिमवत्पृष्ठे 5. 109.5". अत्र वो द्यूतमायातं 7.77.4deg. अब वो वर्तयि न्यामि 13. App. 3A,57 pr. अत्र शक्रधनुर्नाम 5. 107. 174. अत्र शङ्कां न पश्यामि 4.67.6. अत्र शांतनवो भीमः 4.56.21. अत्र शूरा महेवासाः 6.23.4". अत्र श्रेयश्च भूयश्च 5. 131.20. अत्र धाडण्यमायत्तं 15. 11.5. अत्र सत्यं च धर्मश्च 5. 110.30. अत्र सर्वासवः प्राप्ताः 5. 107. 13. अत्र सर्वे महाराज 7. 103. 190. अत्र संतानका नगाः 5. 109. 10. अत्र संयमनित्यानां 5. 109. 11". अत्र साध्वनुकम्पां वै 12. 122. 230. अत्र साम स्म गायन्ति 3. App. 16. 11 pr. अत्र सामानि गाथाभिः 5. 107. 100. अत्र सारस्वतैर्यज्ञैः 3. 129. 14". अत्र सावर्णिना चैव 5. 107. 11. अत्र सिद्ध महात्मनाम् 12. 207. 264. अत्र सिद्धाः शिवा नाम 5. 107. 181. अत्र सिद्धिमगात्पराम् 3. 135.6. अत्र सूर्य प्रणयिनं 5. 108.64. अत्र सूर्यांशुभिर्भिन्नाः 5.97.. अत्र सौगन्धिकवनं 5. 109. 100. अत्रस्तो वाक्यमब्रवीत् 7. 44. 94. -47 -