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________________ ऋचीकः प्रददौ प्रीतः] श्लोकपादसूची [ऋतवश्चापि युज्यन्ते ऋचीकः प्रददौ प्रीतः 13. 4. 18. ऋचीकः सत्यवत्यां च 5. 115. 14. ऋचीकाय महात्मने 13. 4. 9". ऋचीकेनाहितं ब्रह्म 13. 4. 59deg. ऋचीको द्विजसत्तमः 3. 115. 18. ऋचीको भार्गवस्तदा 12. 49.9. ऋचीको भार्गवस्तां च 3. 115. 10. ऋचीको भृगुनन्दनः 12. 49. 12. ऋचे च यजुषे साम्ने 13. App. 3A. 350 pr. ऋचेदं विष्णुरित्यङ्गं 14. App. 4. 1539 pr. ऋचेपुरथ कक्षेपुः 1. 89. 9". ऋचेपुरथ विक्रान्तः 1. 875*. 2 pr. ऋचोऽध्येतु यजूंषि च 13. 95. 62deg. ऋचो बढ्चमुख्यैश्च 1. 64. 31". ऋचो यजूंषि सामानि 1. 335*. 6 pr.; App. 1. 23 pr. 9. 35. 33deg. 12. 199. 16deg; 243. 20 ; 260. 26", 36. ऋचो यजूंष्यधीते यः 5. 43. 1". ऋचो ह्यक्षरमेव च 7. 414*. 1 post. ऋजवः शमसंपन्नाः 3. 198. 73%. ऋजवः शुचयः शान्ताः 15.81*.2 pr. ऋजवो नाकपृष्ठे तु 13. App. 15. 3848 pr. ऋजवो नाकपृष्ठे वै 12. 342. 15. ऋजवो मृदवो नित्यं 13. App. 15. 3751 pr. ऋजुकायशिरोधरः 13. App. 15. 4242 post. ऋजुना धर्ममिच्छता 13. 113. 74. ऋजुना प्रतियुध्येथाः 9. 60. 37deg. ऋजुना ब्रह्मवादिना 13. App. 10. 13 post. ऋजु पश्यति मेधावी 15. 16. 17. ऋजु पश्यति यः सर्व 5. 34. 220. ऋजु पश्यंस्तथा सम्यक् 12.276. 14". ऋजुमार्गप्रपन्नस्य 3. 142. 13. ऋजुयुद्धान्सहस्रशः 9.60. 29. ऋजुयुद्धेन विक्रान्ताः 9. 60. 570. ऋजुयोधी हतो राजा 9.59. 24. ऋजुरारोहवाशुक्ल: 1. App. 111. 17 pr. ऋजुर्मदुरनृशंसः क्षमावान् 12. 63.8. ऋजुम॒दुः सत्यवादी 4. 120*. 29 pr. ऋजुवक्रविशालानां 1. App. 80. 13 pr. ऋजुश्च सत्यवादी च 12. 223. 7deg. ऋजुस्तु योऽर्थ त्यजति 12. 18. 29. ऋजु पश्यत मा वक्र 3. 824*. 3 pr. ऋजुः कृतयुगे धर्मः 13. App. TA. 13 pr. ऋजुः प्रणिहितो गच्छन् 12. 9. 19. ऋजुः सुनिशितः पीतः 12. 99. 18. ऋजुः स्वदारनिरतः 14. App. 4. 203 pr. ऋजूनां शमनित्यानां 12. 262. 15. ऋजून्येव विशुद्धानि 7. 164. 136. ऋजून्सतः सत्यशीलान् 13.8. 23deg. ऋजोर्मुदोर्वदान्यस्य 3. 31. 180. 12. 81. 336. ऋज्वी वक्रा च भारत 12. 101. 4. ऋणकर्ता च यो राजन् 13. 24. 22. ऋणकर्ता च यो विप्रः 14. App. 4. 2074 pr. ऋणमुक्तो भविष्यसि 1. 1273*. 11 post. ऋणमुन्मुच्य देवानां 13. 37. 18%. ऋणमेतत्प्रवृद्धं मे 5. 58. 21". ऋणवन्तो यदा माः 12. 261. 15. ऋणवाायते मर्त्यः 12. 281. 9. ऋणवृद्धिकरं कुर्यात् 13. App. 15. 2021 pr. ऋणशेषोऽग्निशेषश्च 12. 138. 58. ऋणं कस्मात्त्वमद्य वै 12. 192. 98. ऋणं तत्प्रतिमुञ्चानः 9. 4. 42. ऋणं ते धारयाम्यहम् 12. 192. 854. ऋणं धारयमाणस्य 5. 105.6deg. ऋणं प्रतीच्छेः सहवृद्धिमूलम् 8. App. 28. 10. ऋणं मे न भवेदिति 12. App. 17B. 119 post. ऋणं मे प्रतिमुञ्चतु 12. App. 17B. 117 post. ऋणादद्य विमुक्तोऽहं 1. 684*. 3 pr. ऋणादहमनिर्मुक्तः 1. App. 65. 13 pr. ऋणान्मुक्तो जनाधिप 1. App. 112. 3 post. ऋणान्यनवदाय च 12. 7. 17. ऋणार्थमभिगच्छन्ति 13. App. 15. 1930 pr. ऋणिनं प्रति यच्चैव 2. 61.736. ऋणिनो मानवा ब्रह्मन् 1. 220. 11". ऋणैर्मुक्तः कुरूद्वह 3. 81. 836. ऋणैर्मुक्तो युधिष्ठिर 3. 82. 109". ऋणैर्वृद्धिं च ये कृत्वा 13. App. 15. 1929 pr. ऋणैश्चतुर्भिः संयुक्ताः 1. 111. 12. ऋत आत्मानमेवेति 12. 328. 26. ऋतधामा ततो विप्रैः 12. 330. 4. ऋतमेकाक्षरं ब्रह्म ' 1. 20. 12. 73*.5 pr. ऋतमेव हि पूर्व 23. 440. ऋतवश्च ग्रहा 44. 10. ऋतवश्च सुखो..4 12.70. 10%. ऋतवश्चापि नित्यशः 13. 43. 9". ऋतवश्चापि युज्यन्ते 4. 47. 2". -501
SR No.032840
Book TitlePatrika Index of Mahabharata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshuram Lakshman Vaidya
PublisherBhandarkar Oriental Research Institute
Publication Year1967
Total Pages808
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue
File Size25 MB
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