________________ उपैति सत्याहानं हि] महाभारतस्थ [उभयेनानुरूपेण उपैति सत्याद्दानं हि 12. 156. 25*. उपैति सविताप्यस्तं 12. 58. 28deg. उपैतीव रिरसया 1. 64. 136. उपैतुमजितेन्द्रियः 3. 264, 59. उपैहि युद्धं यदि मन्यसे त्वम् 5. 47. 84. उपोपविविशुर्यक्षाः 3. 158. 36deg. उपोपविविशुहृष्टाः 14.59. 28. उपोपविविशुः प्रीताः 2. App. 21. 1439 pr. 13. 126. 14. उपोपविविशुः समम् 10. 1. 284. उपोपविविशुः सर्वे 1. 117. 16, 17"; App. 114. 18 pr. उपोपविविशे तत्र 12.331. 30f. उपोपविश्य प्रणतः 7.52.21. उपोपविश्य प्रीतात्मा 1.54. 15. उपोपविश्य विद्वांसः 3. 299. 1. 4. App. 1. 3 pr. उपोपविश्य शैलाने 13. App. 1A. 340 pr. उपोपविष्टस्तैः सर्वैः 14. 58. 19deg. उपोपविष्टं सचिवैः 2. App. 15. 167 pr. उपोपविष्टः कल्याणीः 3. 124. 3deg. उपोपविष्टः सुप्रीतः 12. 321. 22. उपोपविष्टाम्ज्वलनप्रकाशान् 1. 183.30. उपोपविष्टा नारीभिः 5. 135. 1. उपोपविष्टा मञ्चेषु 1. 1812*. 1 pr. उपोपविष्टा राजानं 7. 49.2". उपोपविष्टाः पश्यध्वं 9.54. 39. उपोपविष्टैस्विमिरग्निकल्पैः 1. 185.7. उपोपाविशदासने 12. App. 17C. 18 post, उपोष्य एकभक्तेन 13. 526*. 1 pr. उपोष्य चापि किं तेन 13. 109.6". उपोष्यतां चापि भवद्भिरद्य 14. 63. 154. उपोष्य पूजयेद्यस्तु 14. App. 4. 3021 pr. उपोज्य पूजयेद्यो मां 14. App. 4. 2999 pr., 3001 pr., 3009 pr. उपोष्य रजनीमेकां 3. 82. 115. उपोष्य विधिवद्देवाः 13. 109. 64". उपोष्य व्याधिरहितः 13. 109. 16. उपोष्य स समामोति 14. App. 4. 3017 pr. उपोष्य सम्यक्शुद्धात्मा 12. 289. 46. उपोष्य संशितो भूत्वा 12. 257.76. उपोव्येह नरश्रेष्ठ 13. 109. 4. उपोष्यैकाहमादधात् 13. App. 10. 265 pr. उपोह्यमाने द्यूते तु 2. 53. 17. उप्तं भवति निष्फलम् 13. 6.7'. उत्वा गङ्गां लतापाशैः 3. App. 23. 4A 2 pr. उप्यते तत्र यद्वीजं 13. 62. 28. उप्यमानानि चैव ह 3. 189. 10. उभयत्र प्रसक्तस्य 12. 106. 19". उभयत्र मनो ज्ञेयं 14.42. 16. उभयत्र समर्थेन 11. 25. 37. उभयत्र समुद्भवः 6. 22. 20. उभयत्र सुखोदकः 12. 251. 4. उभयत्र स्थितस्तस्मात् 14, App. 4. 1562 pr. उभयमेव तत्रोपभुज्यते फलम् 5. 42. 16*. उभयस्याविशेषज्ञः 12. 140. 30. उभयं कारणं मन्ये 13. 1. 56. उभयं च तथापरे 12. 21.. उभयं चामृतमय 3. 291. 18. उभय ज्ञातिलोकेषु 12.81. 37. उभयं तत्समासाद्य 8. 27.62. उभयं तत्समीभूतं 12. 137. 20deg. उभयं तद्यथा ब्रह्मन् 3. 1336*.2 pr. उभयं तन्महत्तच्च 13. App. 15. 3594 pr. उभयं ते गरीयस्तत् 1. 223. 23. उभयं दृश्यते तासु 13. 43. 18. उभय दोषकारकम् 12. 285. 32. उभयं न व्यतिक्रामेत् 12. 140. 31. उभयं नः सुखोदयम् 12. 275. 16. उभयं निश्वयं कृत्वा 13. App. 1A. 127 pr. उभयं नो बहुगुणं 11. 2. 9. उभयं पालयन्ह्येतत् 1. 666*.2 pr.. उभयं भयमेव च 13. App. 15. 2258 post. उभयं भुज्यते क्रमात् 13. App. 15. 2256 post. उभयं मे मतं विद्वन् 12. App. 14. 10 pr. उभय मे यथा न स्यात् 12.275.1deg. उभयं यत्र संपन्नं 13. App. 15.3429 pr. उभयं यो निषेवते 13. 23. 30". 14. App. 4. 2235 post. उभयं रत्नसंभवम् 3. 284. 20. उभयं वेदवचनं 12. 19. 1. उभयं सर्वकार्येषु 12. 15. 50%. उभय संप्रधायैतत् 12. 187. 50%; 241. 4". उभयं सोऽश्नुते पृथक् 12. 280. 11'. उभयानेव चापरान् 2. 24. 26'. उभयार्थोऽपि वा धर्मः 12. 251. 2. उभयार्थों भवत्येव 14. 41*. 2 pr. उभयासंयुतं दानं 13. App. 15. 3306A 1 pr. उभये दक्षिणोत्तरे 6. 7. 524. उभयेनानुरूपेण 13. App. 16. 96 pr. -480 -