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________________ इत्येवमुक्तः कुशिकः] श्लोकपादसूची [इत्येवं गुरुभिः पूर्व इत्येवमुक्तः कुशिकः 13. 53. 58%: इत्येवमुक्तः पलितः 12. 136.70deg. इत्येवमुक्तः पवन: 12. 151. 12. इत्येवमुक्तः पार्थेन 14. 82. 25*. इत्येवमुक्तः सख्या सः 1. 1348*. 1 pr. इत्येवमुक्तः स तदा 5.7.28". इत्येवमुक्तः स ययौ रथेन 16. 5. 3. इत्येवमुक्तः सहसा किरीटी 8. App. 34. 4B 3. इत्येवमुक्ता यतिना 1. App. 114. 17 pr. इत्येवमुक्ते तिष्ठन्ती 4. App. 17. 20 pr. इत्येवमुक्ते ते वीराः 9. 61. 31". इत्येवमुक्त पार्थेन 2. 54. 21". इत्येवमुक्के वचने 3. 11. 35*. 14.95. 16*. इत्येवमुक्त वचनेऽर्जुनेन 3. 24. 15. इत्येवमुक्तो गरुडः 1. 362*. 1 pr. इत्येवमुक्तो गुरुसूनुना कथं 8. 1021*. 1. इत्येवमुक्तो धृतराष्ट्रेण राजा 14. 10. 80. इत्येवमुक्तो नृपतिः 1. 730*.5 pr. इत्येवमुक्तो मारीचः 3. 262. 14". इत्येवमुक्तो युधि सूतपुत्रः 8. 1100*. 9. इत्येवमुक्तो वसुना 12. 806*. 3 pr. इत्येवमुक्तो विजयः 14. 82. 220. इत्येवमुक्तो विहगः 13. App. 1A. 269 pr. इत्येवमुक्त्वा गरुडः 1. 360*. 1 pr. इत्येवमुक्त्वाच्युतमेकवीरः 8. 806*. 1. इत्येवमुक्त्वा तां भायां 12. 49. 12. इत्येवमुक्त्वा तूष्णीं सः 10. 9. 556. इत्येवमुक्त्वा तौ वीरौ 3. 154. 45". इत्येवमुक्त्वा दुष्टात्मा 2. App. 28. 192 pr. इत्येवमुक्त्वा दुःखार्ता 1. App. 105. 13 pr. इत्येवमुक्त्वा देवसंघोऽनुगम्य 16. App. 1. 9. इत्येवमुक्त्वा द्रुपदस्य पुत्रीं 2. App. 38. 29. इत्येवमुक्त्वा धर्मात्मा 1. 621*. 5.pr. 4. App. b. 28A 1 pr. इत्येवमुक्त्वा नाराचैः 14.78. 26. इत्येवमुक्त्वानुज्ञाप्य 3. 275. 49". इत्येवमुक्त्वा नृपति 3. 1227*.7 pr. इत्येवमुक्त्वा नृपते 14. 80. 226. . इत्येवमुक्त्वा नृपसूनुसत्तमः 4. 637*. 3. इत्येवमुक्त्वा पाञ्चाल: 1. App. 95. 39 pr. इत्येवमुक्त्वा पितरं 1. App. 68. 52 pr., 57 pr. इत्येवमुक्त्वा पुनराह पार्थः 8. 49. 980. ' इत्येवमुक्त्वा पुरुषप्रवीरः 3 12. 670. 4. 63*. 1; App. 24. 14. इत्येवमुक्त्वा पृथिवी 3. 360*. 1 pr. इत्येवमुक्त्वा प्रययौ 1. 221. 9deg. इत्येवमुक्त्वा बीभत्सुं 8.677*. 6 pr. इत्येवमुक्त्वा बीभत्सुः 8. 37. 19". इत्येवमुक्त्वा भगवान् 2. App. 28. 211 pr. 12. App.17C. 152 pr. 13. 91. 45%; App. 11 483 pr. इत्येवमुक्त्वा भार्ये ते 1. 110. 36deg. इत्येवमुक्त्वा भ्रातॄणां 4. 92*. 1 pr. इत्येवमुक्त्वा मैत्रेयः 3. 11. 396. इत्येवमुक्त्वा राजानं 3.647*. 1 pr. 5. 158. 220. 10.9. 46. 11. 10.5%, 18. इत्येवमुक्त्वा राजानः 1. 1865*. 1 pr. इत्येवमुक्त्वा वचनं 5.91. 220.8. 42*.2 pr. 12. 320 1"; 333. 21. 16. 8.7". इत्येवमुक्त्वा वरदा 6. App. 1. 38 pr. इत्येवमुक्त्वा वार्ष्णेयः 1. App. 108. 24 pr. इत्येवमुक्त्वा बिरराम शल्यः 8. 68.326. इत्येवमुक्त्वा विविधैः 3. 270. 20%. इत्येवमुक्त्वा स तदा महात्मा 7. App. 6. 21. इत्येवमुक्त्वा स महाधनुष्मान् 5. 61. 14. इत्येवमुक्त्वा सहसा 1. 620*. 1 pr.. इत्येवमुक्त्वा सहसाभ्यधावत् 8. App. 31. 15. इत्येवमुक्त्वा सहसोत्पपात 8. 49. 106%. इत्येवमुक्त्वा संक्रुद्धः 14. 75.50. इत्येवमुच्चरन्त्यः स 7. 31. 24. इत्येवमुच्चै राजेन्द्र 9. 55. 35. इत्येवमृषयो विदुः 13. 122. 136. इत्येवमेतत्सकलं करोमि 3. App. 21. 1574. इत्येव ये भावितबुद्धयः सदा 2. 68. 8. इत्येव वाक्यं सहसा व्यमुञ्चत् 5. 186. 84. इत्येव सर्वे शोचन्तः 1. 1487*. 1 pr. इत्येवं कथयन्तस्ते I. App. 67. 10 pr. इत्येवं कथिते देवे 14. App. 4, 22 pr. इत्येवं कर्म कुर्वाणं 7. 666*. 1 pr. इत्येवं कारणं ज्ञेयम् 1. 862*.8 pr. इत्येवं कृतनिश्चया 1. 103. 131. इत्येवं केशवेनोक्तः 7. App. 16.24 pr. इत्येवं क्षत्रियर्षभाः 1. App. 78. 4 post. इत्येवं क्षत्रियास्तत्र 7.15.26. इत्येवं क्षत्रियोऽभवत् 7. App..8.766 post. इत्येवं खिद्यते नित्यं 12.341.70. इत्येवं गर्हयित्वैषा 11. 24. 200. इत्येवं गुरुभिः पूर्व 10. 6. 22". पादसूची-51 -401 -
SR No.032840
Book TitlePatrika Index of Mahabharata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshuram Lakshman Vaidya
PublisherBhandarkar Oriental Research Institute
Publication Year1967
Total Pages808
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue
File Size25 MB
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