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________________ भाशीविषैः परिवृतः] श्लोकपादसूची [आश्रमस्थ विना राम आशीविषैः परिवृतः 12. 83. 45deg. आशीः कर्मविवर्जितैः 12. 336. 58'. भाशुकारिणमाहवे 1. App. 78. 21 post. 7. 12. 23. आशु कुर्वन्तु शिल्पिनः 2. 45. 46. आशुगान्वीर मा मुञ्च 2. App. 39. 64 pr. आशुगामी तमोघ्नश्च 3. App. 1. 57 pr. आशुगा विमलास्तीक्ष्णाः 6. 44. 21deg, 30deg. आशुगैरायसैः शितैः 7. 24. 26. आशुगैर्हदिकात्मजम् 7. 90. 354. आशु ग्रन्थस्य वक्ता च 5. 33. 28deg. आशु चाद्य शरास्तस्य 8.777*. 3 pr. आशु चाचैव न चिरात् 4.270*.3 pr. आशु तच्छीलतामेति 7. 118. 11'. आशु ते व्यसवोऽभवन् 8. 15. 224. आशु त्यजति किल्बिषी 12. 162. 124. आशु त्याज्योऽस्मि युष्माभिः 1. App. 118. 23 pr. आशुत्वाच्छीघ्रगामिनाम् 3. 166. 17. माशु भीमो व्यवासृजत् 8.59. 25deg. आशु मारुतरंहसम् 8. 600*. 1 post. आशु मुञ्चति कर्दमम् 12. 287. 20'. आशु व्यक्तात्मकं मनः 12. 224, 334. आशु शान्तिकरो भवेत् 9. 59. 124. आशु संचारमध्रुवम् 12.212. 37. आशु सेनापतिं कुरु 7.5. 20'. आश्चर्यमिति मत्वा ते 12. App. 20.52 pr. आश्चर्यमित्यभाषन्त 9. 12.2. आश्चर्यमेतत्प्रतिभाति मेऽद्य 8. 1051*.2. आश्चर्यवच्चैनमन्यः शृणोति 6. 24. 290. आश्चर्यवत्पश्यति कश्चिदेनं 6. 24. 296. आश्चर्यवद्वदति तथैव चान्यः 6. 24. 29". आश्चर्यशो वर्षति तत्र देवः 12.74. 15. आश्चर्य चापि तद्राजन् 9. 56. 42". आश्चर्य तत्र मे द्विज 12. 351. 6. आश्चर्य तत्र राजेन्द्र 7. 96. 24". आश्चर्य दृष्टवत्यहम् 3. 73. 15t. आश्चर्य नात्र संदेहः 12. 352. 1". आश्चर्यं परमं किंचित् 13. 126. 30deg. आश्चर्य परमं जग्मुः 9. 370*. 1 pr. आश्चर्य परमं वाक्यं 13. App. 15.20 pr. आश्चर्य परमं हीदं 13. 21. 22. आश्चर्य प्रतिभाति मे 3. 263. 37d. 13. 126. 424. आश्चर्य भरतश्रेष्ठ 3. 187. 49deg. आश्चर्य लक्षितं मया 3. 73. 14.. भाश्चयं वै सदा तेषां 6. App. 4. 306 pr. माश्चर्य सिन्धुराजस्य 8. b1. 450. भाश्चर्य स्यात्कृतं मया 13. 40. 49". माश्चर्याणामनेकानां 12.914*. 1 pr. आश्चर्याणामिवाश्चर्य 12. 350. 80. आश्चर्याद्भुतमुत्तमम् 13. 14. 1304. आश्चर्यासि च धन्यासि 12. App. 17A. 56 pr. आश्चर्योऽसि च धन्योऽसि 12. App. 17A. 62 pr., 67 pr., 74 pr., 81 pr., 88 pr., 95 pr., 101 pr., 109 pr., 117 pr., 132 pr., 151 pr. आश्रमद्वेषसंकरी 12. 158.6". आश्रमप्रवरं पुण्यं 1. 581*. 2 pr. आश्रमप्रवरं रम्यं 1. 64. 15. आश्रमप्रवरं शुभम् 1. 64. 41'. आश्रमश्चैव पुण्याख्यः 3. 110.2%3 630*. 14 pr. आश्रमश्चैव रुक्मिण्या 3. 130. 15deg. आश्रमस्तस्य कौरव 3. 192. 80. आश्रमस्तस्य पुण्योऽयं 3. 139. 24". आश्रमस्थस्ततः पुत्रम् 1. 169. 1". आश्रमस्थस्तया साधं 3. 116. 3. आश्रमस्थं तपोराशिं 3. 101. 136. आश्रमस्थं तमप्याहुः 12.66.21. भाश्रमस्थं महीपते 13. 104.22. आश्रमस्थं विना रामं 3. 116. 250, आशौचस्थो न जातुचित् 14. App. 4. 2239 post. आशौचं मलिनत्वं च 14. App. 4. 1704 pr. आशौचं वर्धते नित्यं 12. App. 21. 16 pr. आशौचो ब्राह्मणो राजन् 13. 24. 450. आश्चर्यभूतं तपसः 12. 35. 24. आश्चर्यभूतं ददृशुः 2. App. 15. 50 pr. आश्चर्यभूतं भवतः 3. 188. 4". आश्चर्यभूतं मत्वा तत् 1. 57. 50%. आश्चर्यभूतं यदि तत्र किंचित् 12. 350. 1. आश्चर्यभूतं लोकस्य 1. 430*. 4 pr. 13. 126. 2. आश्चर्यभूतं लोकेषु 6. 48. 64*. 7. 14. 20. 13. ___App. 15. 122 pr. आश्चर्यभूतं लोकेऽस्मिन् 7. 105. 6". आश्चर्यभूतं सुमहत्त्वदीयाः 6. 81. 37*. आश्चर्यमगमन्देवाः 1. 2124*. 2 pr. आश्चर्यमगमंस्तत्र 1. 218. 42. आश्चर्यमद्य पश्यामि 14. 9. 11". आश्चर्यमिति गोविन्दः 8. 14. 25". -359
SR No.032840
Book TitlePatrika Index of Mahabharata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshuram Lakshman Vaidya
PublisherBhandarkar Oriental Research Institute
Publication Year1967
Total Pages808
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue
File Size25 MB
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