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________________ आविद्धा इव शस्त्रेण ] श्लोकपादसूची [ आवृणोत्येव तं पश्चात् आविद्धा इव शस्त्रेण 2. App. 44. 19 pr. आविद्धाविव दृश्येते 1. 217. 3. आविद्धा सर्ववेगेन 9. 56. 29". आविध्य च गदां गुवीं 7. 168. 18. भाविध्य च पुनः पुनः 7. 84. 22. भाविध्यत गदां गुर्वी 9. 56. 24. आविध्यत गदां राजन् 9. 56. 52. आविध्यतो गदां तस्य 6. 59. 176. 9. 56. 136. भाविध्यदजिनं कृष्णं 2. 36.76. आविध्यन्तमभिप्रेक्ष्य 9. 56. 14". आविध्यन्तं गदां दृष्ट्वा 9. 56. 26. आविध्यन्तं महाहवे 3. 23. 36. आविध्यनुत्तरीयाणि 9. 60. 4". आविध्यन्बह्वशोभत 9. 56. 300. आविध्य भीमोऽपि गदा सुधोरां 8. App. 29. 21. आविध्य युधि सत्वरः 8. 127*. 1 post. भाविध्य व्यसृजत्तूर्ण 6. 78. 33. भाविध्याविध्य ते राजन् 16. 4. 39". आविध्याविध्य तौ वृक्षान् 3. 154. 50*. आविध्यैनं समादधत् 3. 73. 12. मा विमोक्षाच्छरीरस्य 12. 226. 4deg. आविर्बभूव योगीन्द्रः 12. App. 16. 13 pr. आविर्भूत इवाबभौ 12. App. 17C. 85 post. आविर्भूतः पुराणात्मा 13. App. 3A. 205 pr. आविवेश च भूमिपम् 12.59. 130. आविवेश ततस्तीवं 9.9. 65. भाविवेशतुरापूर्ण 1. 214. 20*. आविवेश ददौ चास्मै 10.7.64. भाविवेश द्विजोत्तमम् 3. 246. 200. भाविवेश परंतप 6. 50. 78. आविवेश महद्भयम् 8. App. 43. 8 post. 9. 7. 184. आविवेश रविं कर्णः 18. 5. 18%. आविवेश विशां पते 7.56.74. भाविवेश विहंगमः 3. 291. 23. आविशच्छयनं शुभम् 8. App. 18. 135 post. भाविशन्शतसंघशः 5, 196. 154. विशत्परमो हर्षः 1. App. 103. 128 pr. आविशत्स्वर्गवासिनम् 3. 178. 29deg. भाविशद्गन्धमादनम् 3. 259. 33. आविशद्भिस्तदा राजन् 5. 46. 10". आविशध्वमतन्द्रिताः 13. App. 1A. 98 post. आविशध्वं हयश्रेष्ठं 13. App. 1A. 123 pr. आविशवं हयं क्षिप्रं 1. 18.7%. भाविशन्ति च यं यक्षाः 3. 219. 51". आविशन्ति द्विजाधमम् 13. 29. 14. आविशन्ति न पण्डितम् 3. 2. 154. 11. 2. 134. 12. 16. 20%; 168. 314; 317. 2. 13. App. 15. 3930 post. ___18. 5. 484. आविशन्ति परस्परम् 6. 6. 84. आविशन्ति प्रजागराः 5. 33. 136. आविशन्तीह दुःखानि 13. App. 3.81 pr. आविशेल्सचिवैः सह 12. 86. 254. आविशेयुः स्वकर्मसु 12. 79. 176. आविश्य प्रदिशः सर्वाः 14. 65. 10. आविश्य भुवि जायते 13. App. 15. 2553 post. आविश्य मनसा खगः 1. 26. 18. आविश्यमाने दैत्ये तु 12. 272. 40%. माविश्य योगेनात्मानं 13. 14. 60. आविश्य वाजिनं मुख्यं 1. 286*. 4 pr. आविश्य शयने शेते 11. 19. 16. आविश्य शेते भगवान् 11. 23. 18. आविश्य हृदयं जन्तोः 14. 17. 25%. आविश्येन्द्रियरश्मिभिः 12. 197. 14. आविश्यमां धरणीं येऽभ्यरक्षन् 7. 172. 66deg. 13. 18. 54". आविश्रमाम्बुज* * * नीलमव्यात् 6. App. 2. 19 (subst.) 7. आविष्कृतबलं कर्ण 12. 5. 1". माविष्ट इव पाण्डवः 8.840*.9 post. माविष्ट इव मद्रेशः 9. 10. 24". आविटविषया जनाः 12. 461*.7 post. भाविष्टश्चैव सत्त्वेन 13. App. 15. 1209 pr. आविष्टस्त्यक्तजीवितः 12. 98. 31. आविष्टः कलिना द्यूते 3. 56. 9. माविष्टः कलिना राजन् 2. App. 40. 10 pr. आविष्टः कलिना राजा 3. 56. 16. आविष्टः शोकदुःखाभ्यां 3. 342*.2 pr.; 344*. 1 pr. आविष्टः स तु कोपेन 1. 37. 11". आविटा इव युध्यन्ते 6. 44. 36; 86. 85. आविष्टा इव शोकेन 15.29.3". आविष्टेन वनेचराः 3. 268. 13. माविष्टो दुःखशोकाभ्यां 12. 7. 20. आविष्टो नष्टचेतनः 12. 170. 14. भाविष्टो युध्यते भृशम् 12. 98. 29. माविष्टो रक्षसोग्रेण 1. 167. 17. आवृणोत्करकं तथा 12. App. 26. 44 post. भावृणोत्तद्वनद्वारं 3. 12. 150. आवृणोत्येव तं पश्चात् 11.7.9%.
SR No.032840
Book TitlePatrika Index of Mahabharata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshuram Lakshman Vaidya
PublisherBhandarkar Oriental Research Institute
Publication Year1967
Total Pages808
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue
File Size25 MB
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