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________________ आपवो नाम को न्वेषः] महाभारतस्थ [आपृच्छय धर्मराजानं आपवो नाम को न्वेषः 1. 93. 1". आपवो भरतर्षभ 1. 93. 324. आपश्च रसमात्मनः 1. 97. 16. आपश्च रसमुत्तमम् 1. App. 57. 20 post. भापश्च रसलक्षणाः 14. 43.21". आपश्चात्राधिदैवतम् 13. App. 11. 130 post. आपश्चापि चतुर्गुणाः 14. 49. 384. आपश्चक्षुभिरे चैव 13. 145. 14". आपश्चक्षुभिरे सर्वाः 7. 17 3. 45". आपश्चैवानिलोऽनल: 12. 549*. 1 post. आपश्चैवान्तरिक्षं च 12. 267.7. आपस्ततः प्रतिष्ठन्ति 12. 225. 4. आपस्ततोऽन्या विज्ञेयाः 6. 6. 16. मापस्तत्राधिदैवतम् 12. 301. 8. 14.79*. 1 post. मापस्तथा साध्वसाधून्धहन्ति 12.74.244. आपस्तदा आत्तगुणाः 12. 225.56. आपस्तम्बकृता धर्माः 14. App. 4. 43 pr. आपस्तम्बश्च मेधावी 13. 65. 11". आपस्तम्बस्तथैव च 2. 44*. 4 post. आपस्ततु मया विना 3. 917*. 1 post. आपस्तस्तम्भिरे चास्य 12. 133*. 1 pr. आपस्तस्तम्भिरे पुनः 12. 176.4% App. 26. 47 post. आपस्ते स्वेदसंभवाः 6. 61. 55. आपस्त्वया महाराज 3. 126.23. आपस्य दुहिता भार्या 3. 212.11. आपस्य पुत्रो वैतण्ड्यः 1. 543*. 1 pr. आपः खं चैव गालव 5. 108. 14. आपः पितृगणास्तथा 1.7.8. आपः पुनन्वित्युक्त्वा च 14. App. 4. 1536 pr. आपः पुष्करपर्णवत् 12. 287. 6. 14. 49. 11'. आपः पृथ्वी च पञ्चमी 12. 244. 2. आपःप्रपतने स्नातः 13. 26. 26deg. आपः प्लवन्वन्तरिक्षे वृथा च 14. 10. 13. आपः शेषाः सदा चापः 5. 15. 29. आपः शैवलभक्षणम् 13. 129. 52". आपः सर्वाश्च निम्नगाः 8.258*.8 post. आपः संस्तम्भिरे यस्य 12.29. 134deg. आ पाञ्चालेभ्यः कुरवो नैमिषाश्च 8. 30. 750. आपादतलमस्तकम् 14. 139*.2 post. आपानभूमि कालस्य 12. 48. 5. आपाने पानगलिता 1. 2. 2214. आपाने वैशसं महत् 1. 2. 2344. आपीडकेयूरवराङ्गदानि 8. 68. 29deg.. आपीडयन्रणे क्रुद्धाः 2. App. 21. 654 pr. आपीडिनो रक्तदन्ताः 8. 8. 16". आपीडैर्बहुभिर्भाति 3. 61. 98. आ पुङ्खदेशात्प्रविवेश नागम् 4. 60. 9". आपुपूरे नभः सर्व 9. 374*.7 pr. आपुप्लुवे सिंह इवाचलाग्रं 8. 62. 316. आपूरयन्शरैस्तीक्ष्णैः 7. 17. 15. आपूरयन्दिशो बाणैः 7. 1180*. 5 pr. आपूरयेच्च परिखाः 12. 69. 41. आपूर्णकोशाः किल मे 1. 171.76. आपूर्णमासीच्छब्देन 3. 93. 22. आपूर्णवदनं तदा 1. 1635*. 1 post. आपूर्यत मही कृत्स्ना 1. 58. 24. आपूर्यत मही चापि 1. 22.5deg. आपूर्यत समन्ततः 12. 300.74. आपूर्यते कौरवी चाप्यभीक्षण 8. 54. 230. ' आपूर्यते महाराज 3. 186. 70. आपूर्य भरतर्षभ 15. 30. 184. आपूर्यमाणपक्षे तु 1. App. 36.50 pr. आपूर्यमाणमचलप्रतिष्ठं 6. 24. 70*. 12. 243. 9". आपूर्यमाणमत्यर्थ 1. 291*. 1 pr.; App. 12. 16 pr. आपूर्यमाणं च जगजलेन 3. 113. 104. आपूर्यमाणा निशितैः 9. 9. 620. आपूर्यमाणेनास्त्रेण 7. 170. 24". आपृच्छ कुरुशार्दूल 14. 15. 31. आपृच्छति च यच्छ्रेयः 10. 2. 21. आपृच्छदृशदुःखार्ता 2. 70. 1. आपृच्छामि नगानागान् 12. 318. 584. आपृच्छामो नरव्याघ्र 2. 42. 37. आपृच्छे त्वां कुरुश्रेष्ठ 9. 62. 684. आपृच्छे त्वां गमिष्यामि 1. 72. 154. 2. 3. 1%; 11. 71deg; ___42. 46"; App. 30. 11 pr. आपृच्छे त्वां स्वस्ति तेऽस्तु 3. 206. 284. आपृच्छे भवतः सर्वान् 5. 129. 31. आपृच्छे भवतीं शीघ्रं 5. 130. 3. आपृच्छे वो गमिष्यामि 3. App. 25. 144 pr. आपृच्छे साधयिष्यामि 14. 19. 47. आपृच्छ्य च जनाधिपम् 4. 460*.3 post. आपृच्छ्य च विशां पते 1. 205. 184. आपृच्छ्य तान्दूरतरं प्रयात्वा 4. 1043*. 6. आपृच्छ्य त्रिदिवं गतः 3. App. 21. 360. 13. 12. 49. आपृच्छ्य त्वाद्य गान्धारे 8. 23. 39. आपृच्छ्य धर्मराजानं 8. 50. 40deg. -336
SR No.032840
Book TitlePatrika Index of Mahabharata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshuram Lakshman Vaidya
PublisherBhandarkar Oriental Research Institute
Publication Year1967
Total Pages808
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue
File Size25 MB
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