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________________ आत्मकृत्यमिति ज्ञात्वा ] श्लोकपादसूची [आत्मनश्च परेषां च आत्मकृत्यमिति ज्ञात्वा 2. App. 18. 3 pr. आत्मकेवलतां प्रातः 12. 191. 10% आत्मक्रीडात्मसंश्रयः 12. 236. 23deg. आत्मगानेष्वसंभूतैः 12. 333. 150. आत्मगुप्ता चरिष्यामि 4.3. 17. आत्मगुह्यमिति स्मृतम् 13. App. 15.2489 post. आत्मगुह्यं सनातनम् 12. 321. 27. आत्मघ्नाः कोपकारणात् 13. App. 15. 2740 post. आत्मनो यो नरः कोपात् 13. App. 15. 2762 pr. आत्मच्छन्देन वर्तन्ते 3. 188.54. 13. 20. 60". आत्मच्छायाकृतीभूतं 12. 305. 10. आत्मजन्मोद्भवां तात 12.242. 15. आत्मजस्य ततस्तस्य 5. 142.27%. आत्मजस्य महात्मनः 10. 12.7. आत्मजस्य वधं रणे 14.60.4. आत्मजं जनयामास 5. 117. 17. आत्मजं पार्थिवं गुणम् 12. 205. 10*. आत्मजं पुत्रमुत्पाद्य 13. 49. 15". आत्मजं मातरिश्वनः 3. 157. 324; 695*. 3 post. आत्मजातिकृतेन वै 3. 206. 10. आत्मजान्क्षत्रधर्मेण 10. 11. 10deg. मात्मजाय हुताशनः 9. 44. 30deg. आत्मजावात्मसंपन्नौ 3. 159. 164. आत्मजां रूपसंपन्नां 13. 25. 9". आत्मजास्तेन धर्मेण 10. 11. 120. आत्मजीवितलाभाच्च 7. 1009*. 9 pr. आत्मजेन सरोषेण 1. 1793*. 4 pr. आत्मजेषु परं स्नेहं 5. 59.6". आत्मज्ञस्य जितात्मनः 12. 316. 19d. आत्मज्ञातिविनाशनम् 12. 326.92'. आत्मज्ञानमनायासः 5.34. 70%. आत्मज्ञानमिदं गुह्यं 12.242. 21". आत्मज्ञानमिदं ज्ञानं 12. 47. 49". भात्मज्ञानं तितिक्षा च 12. 285.24. आत्मज्ञानं परं ज्ञानं 3. 203. 41. 12. 316. 12. भात्मज्ञानं पुण्यनद्यः 12. 50*. 2 pr. आत्मज्ञानं शमश्चैव 12. 241. 10deg. आत्मज्ञान समारम्भः 5. 168*.9 pr. आत्मज्ञानि विशिष्टानि 12.229.20%. आत्मज्ञानीतराणि च 12. 229. 20deg. आत्मतत्व विभागज्ञः 12. App. 19. 94 pr. आत्मतत्त्वे न तुष्यति 12.211.54. आत्मतत्रोपघातः सः 1.2.214.4. आत्मतत्रोपघाती यः 13. 93. 4. आत्मतुल्यपराक्रमैः 13. 14. 1184. आत्मतुल्यमसंशयम् 13. 14.48d. आत्मतुल्यं मम सुतं 13. 14. 14. आत्मतुल्यानजनयत् 1.70.50. आत्मतृप्त इवासीत 12.242.50. आत्मतृप्तश्च मानवः 6.25. 17. आत्मतेजोद्भवं पार्थ 12. 329. 2. आत्मतेजोभिनिर्वृत्तान् 12. 181. 1deg. आत्मत्यागं च गर्हितम् 1.146.35. आत्मत्यागः सर्वभूतानुकम्पा 12. 64. 26%. आत्मत्यागी महाराज 12. 12. 8. आत्मत्यागी ह्यवाग्याति 3.240. 2. आत्मत्यागे कृते चेमे 1. 145. 390. आत्मत्यागो मुमूर्षताम् 13. App. 15. 3776 post. आत्मत्यागो मुमूर्षया 13. App. 15. 3772 post. आत्मत्राणकृतोत्साहाः 9. 8. 46. आत्मत्राणपरा भीताः 3. 100. 12. आत्मत्राणं च कुर्वाणः 12. 196*. 1 pr. आत्मत्राणे मतिं कृत्वा 7. 167. 11'. आत्मत्राणे वर्णदोषे 12.79. 330. आत्मदर्शनतृप्तानां 6. 64.8. आत्मदर्शनसिद्धानां 3. 13. 480. आत्मदानं च दुष्करम् 1. 805*. 6 post. आत्मदानेन भाविनि 1. 1730*.7 post. आत्मदुर्मत्रितेनेह 12. 151. 24deg. आत्मदृष्ट्या च तत्सर्व 12. App. 19. 114 pr. आत्मदेहे मया सृष्टा 6. App. 3. 11 pr. आत्मदोषकृतं फलम् 9. 62. 48. आत्मदोषकृतैर्ब्रह्मन् 3. 205. 22. आत्मदोषात्त्वया राजन् 6. 73. 1". आत्मदोषात्परिभ्रष्टः 3. 238. 16. आत्मदोषात्समुत्पन्नं 6.79. 9". आत्मदोषांश्च विज्ञाय 12.290.51. आत्मदोषैर्नियच्छन्ति 1.73. 290. आत्मनश्च तथा कुन्त्याः 1. App. 88. 12 pr. आत्मनश्च तपोभायं 13. 121.7. आत्मनश्च नरोत्तम 6. 104. 45*. आत्मनश्च न संशयः 13. App. 14. 200A 18 post. आत्मनश्च परस्य च 1. App. 81. 127 post. App. 103. 29 post. आत्मनश्च पराजयम् 6. 91. 24. आत्मनश्च परेषां च 5. 65.3deg. 13. 60. 17. -315
SR No.032840
Book TitlePatrika Index of Mahabharata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshuram Lakshman Vaidya
PublisherBhandarkar Oriental Research Institute
Publication Year1967
Total Pages808
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue
File Size25 MB
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