SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 255
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अश्मसारमयं भाण्डे ] श्लोकपादसूची [अश्रुबिन्दूद्भवा तस्या 7. 8. 100. 13. 124. 220. अश्मसारमयं भाण्डं 2. 47. 14. अश्मसारमया इव 8. 37.22. अश्मसारमयी यथा 7. 17. 94. अश्मसारमयीं गुवी 7. 101. 318 अश्मसारमयैदन्तैिः 5. 46.5. अश्मसारानर्कमणीन् 2. App. 21. 1047 pr. अश्मस्थाणुक्षुपाकीणे 3. 881*. 3 pr. अश्मानमामव्य विशुद्धबुद्धिः 12. 28. 57. अश्मानं चाश्मना पुनः 3.31. 34. अश्मानं ब्राह्मणं प्राप्तं 12. 28.34. अश्रद्दधत्परलोकाय मूढः 5. 27.9". अश्रद्दधान एवैकः 12.256. 11". अश्रद्दधानता चैव 14.36.20%, अश्रद्दधानभावाच 12.96. 19. अश्रद्दधानश्च नरः 13. App. 14. 444 pr. अश्रद्दधाना धर्मस्य 3. 198. 44. अश्रद्दधानाय च यो ब्रवीति 5.37.4. अश्रद्दधानाः पुरुषाः 6.31.3". अश्रद्दधानाः शास्त्रस्य 12. App. 29D. 208 pr. अश्रद्दधानैरप्राज्ञैः 12. 261. 10. अश्रद्दधानो दुर्मेधाः 14. 2. 184. अश्रद्दधानो मानी च 13. App. 14.377 pr. अश्रद्धया च यद्दत्तं 14. App. 4. 281 pr. अश्रद्धया हि दत्तानि 13. App. 10. 217 pr. अश्रद्धया हुतं दत्तं 6. 39.286. अश्रद्धा परमं पापं 12.256. 120. अश्रद्धा मूढभावना 14. 36. 14. अश्रद्धेयतमं तेषां 1.224. 190. अश्रद्धेयमचिन्त्यं च 7.725*. 3 pr. अश्रद्धेयमहं मन्ये 8. 5. 33. 16. 9. 14". अश्रद्धेयमिदं कर्म 10. 1.7. अश्रद्धेयमिदं तव 7.813*. 1 past. अश्रद्धेयमिदं वाक्यं 1. 68.76%; 657*.4 pr. अश्रद्धेयमिवाद्भुतम् 8.5.3. अश्रद्धेयमिवानृतम् 12. 140. 1. अश्रद्धेयमिवाश्चर्य 7. 45. 20. अश्रद्धेयश्च पञ्चमः 13. App. 14. 439A 13 post. अश्रद्धेयं वदसे हव्यवाह 14.9.274. अश्रद्धेयः कृतघ्नो हि 5. 105. 10. 12. 167. 19%; 449*. 35 pr. अश्रद्धेयानि धान्यानि 13.91. 380. अश्रान्तश्चिन्तयेद्योगं 13. App. 15. 4291 pr. अश्रान्तः स्यादनादानात् 5. 42. 250. अश्रान्तां चाविवर्णां च 9. 47. 46. अश्रान्तश्चापि लघुभिः 14.94. 10%. अश्रावयद्धृतराष्ट्रस्य पुत्रः 2. 68. 14. अश्राव्य जगतीपतेः 12. App. 3.59 post. अश्राव्यं पापकर्मणाम् 14. App. 1. 3169 post. अश्रुकण्ठः सुदुःखातः 3. 238. 27. अश्रुकण्ठा भयोद्विग्नाः 8. App. 14.25 pr. अश्रुकण्ठा यथा दैत्याः 7. 165.70deg. अश्रुकण्ठा रुदन्तश्च 5.71. 18. अथुकण्ठा विनिःश्वस्य 11. 10. 2. अश्रुकण्ठी समारोप्य 11.9.7 अश्रुकण्ठोऽभवद्गाजा 5. 147. 236. अश्रुकण्ठो भृशं त्रस्तः 8.7*. 6 pr. अथुक्लिन्नमुखो दीनः 7. 125. 1". अश्रुतश्च समुन्नद्धः 5. 33. 30". अश्रुतस्येह दुर्मतेः 12. 84. 274. अश्रुतोऽस्य समुत्पन्नौ 13. 85. 186. अश्रुत्वा हितकामस्य 14. 1. 10. अश्रुत्वा ह्यस्य वीरस्य 14. 1. 184. अश्रुत्वैव तु तद्वाक्यं 1. 1036*. 2 pr. अश्रुत्वैवं वचनं ते महर्षे 1. 190. 1". अश्रु दुःखाभिभूतायाः 4. 21. 294. अश्रुपातपरिक्किन्नः 12.149. 66". अश्रुपातः सुदारुणः 13. 346*. 1 post. अश्रु पापं च वर्षति 12.74. 144. अश्रुपूर्णमुखः कर्णः 7. 111. 20. अश्रुपूर्णमुखी खिन्ना 5. 399*.2 pr. अश्रुपूर्णमुखी दीना 13. App. 20. 191 pr. अश्रुपूर्णमुखीं दीनां 4. 22. 266. अश्रुपूर्णमुखेक्षणैः 14. App. 4. 623 post. अश्रुपूर्णमुखो दीनः 7. 1034*. 1 pr. अश्रुपूर्णमुखो राजा 7. 158. 220. अश्रुपूर्ण मुखं तदा 7.50. 804. अश्रुपूर्णाकुलेक्षणम् 6. 24. 1'. अश्रुपूर्णक्षणा कृष्णा 5. 80. 35deg. अश्रुपूर्णक्षणा वाक्यं 5.80.3.. अश्रुपूर्णेक्षणास्त्रस्ताः 7. 1343* 2 pr. अश्रुपूर्णे च लोचने 3.72. 234. अश्रुपूणे ततो नेत्रे 7. 166. 184. अश्रुप्रपातनं चैव 12. 138. 17. अश्रुप्रमार्जनं तस्य 1. 205. 136. अश्रुबिन्दुद्भवा तस्याः 1. 6.60. -247 -
SR No.032840
Book TitlePatrika Index of Mahabharata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshuram Lakshman Vaidya
PublisherBhandarkar Oriental Research Institute
Publication Year1967
Total Pages808
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue
File Size25 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy