________________ अपूपं वा पिपीलिकः] श्लोकपादसूची [ अपृष्टस्तस्य तद्भूयात् अपूपं वा पिपीलिकः 13. 112. 984. [अपूपं हृत्वा पिपीलकः 13.560*. 1 post. अपूपानथ शकुलीः 12. 221.62. अपूपान्पुनर्वसौ दत्वा 13. 63.90. अपूपान्सक्तुपिण्डीश्च 8. 30. 24. अपूपाश्च वृथाः कृताः 12.37.26. अपूपैश्चैव पूपैश्च 2. 625*. 1 pr.; 626*. 3 pr. अपूपैः कृसरेण च 14. 64.4. अपूरयत लोकांस्त्रीन् 9. 45. 55. अपूरयद्दिशः सर्वाः 10. 8. 88deg. अपूरयन्महौघेन 13. 138. 4".. अपूर्णकाले प्रहरेत् 4. App. 3. 26 pr. अपूर्णमश्रोत्रियमाह तार्क्ष्य 3. 184. 14. अपूर्णसमयान्भूयः 4. App. 28. 1+ pr. अपूर्णे समये चापि 4. App. 27. 33 pr. अपूर्णोऽयं द्विपक्षो नः 4. 315*. 14 pr. अपूर्यां पूरयन्निच्छां 12. 17. 4. अपूर्वचारकः सौम्यः 12. 269. 17. अपूर्वदर्शनं तात 1. 156.6". अपूर्वभोजनं धर्मः 13. 128. 41. अपूर्वमक्षयं क्षय्यं 12. 306. 299. अपूर्वममितौजसम् 12. 335.5. अपूर्वममृतं नित्यं 14. 50. 334. अपूर्वमिव तद्भवेत् 13. App. 15. 144 post. अपूर्व कारितं च मे 12. 306. 23. अपूर्व चैव पूर्व च 13. 37. 10. अपूर्व धीमतां वर 12.335.44. अपूर्वं वापि यत्यानं 13. 37.1". अपूर्व वा भवेत्पात्रं 13. 37. 1". अपूर्व वाहनमिदं 5. 15. 154. अपूर्व विधिविम्तरम् 12. 321. 22. अपूर्व सर्वतोभद्रं 12. App. 28. 403 pr. अपूर्वां तनुमाश्रितः 3. App. 27.53 post. अपूर्विणा न कर्तव्यं 12. 283.54. अपूर्वी भार्यया चार्थी 1. App. 64. 21 pr. अपूर्वोऽप्यथ वा विद्वान् 13. 23. 84. अपूर्वोऽयं संभ्रमो लोमशस्य 3. 140. 15. अपृक्तं दुर्निवारणम् 10. 7.6* अपृच्छच्च तदा राजा I. 3. 1940. अपृच्छच्चैव राजेन्द्र 3. App. 14. 17 pr. अपृच्छत कथं तातः 1. 37.2. अपृच्छत च तां भूयः 12. 124.56. अपृच्छत्कल्मषापहम् 13. 691.2 post. अपृच्छत्कुशलं सर्वान् 9. 33. 11. अपृच्छत्क्षत्रियांस्तत्र 9.23.26. अपृच्छत्तापसान्सर्वान् 12. 290*.2pr. अपृच्छत्तां योषितमन्तिकाद्वै 1. 189. 12. अपृच्छत्तेन चाख्यातं 8. 30. 69. अपृच्छत्याण्डवस्तत्र 2. 6. 6. अपृच्छत्पितरं ब्रह्मन् 12. 315.264. अपृच्छत्पितरं भूयः 1.247*.2 pr. अपृच्छत्पुनरन्यांश्च 14. App. 4. 2850 pr. अपृच्छत्पुनरेव तु 13. App. 15.279 post. अपृच्छत्स तपोवृद्धि 1. 1. 4. अपृच्छत्स नराधिपः 1. 728*.2 post. अपृच्छत्संशयान्पुरा 13. App. 15.50 post. अपृच्छदकृतव्रणम् 3. 115. 36.5. 175. 101. अपृच्छदात्मनः श्रेयः 7. App. 8. 363 pr. अपृच्छद्देवमहिषी 13. 134, 19". अपृच्छद्धनुरुद्यम्य 1. 36. 16. अपृच्छदाप्पसंरुद्धः 6.73. 190. अपृच्छद्राह्मणान्बहून् 12. 370*. 1 post. अपृच्छद्रतर्षभ 6.5.. अपृच्छद्राघवो गृधं 3. 263. 200. अपृच्छद्वसुहोमस्तं 12. 122. 9". अपृच्छद्विनयान्विता 12. App. 21. 21 post. भपृच्छन्कस्यचिन्मार्ग 12. 9. 18. अपृच्छन्क्षत्रियांस्तत्र 9. 24. 36". अपृच्छन्त समाहिताः 13. App. 14. 369 post. अपृच्छन्तं कदाचन 4. 4. 12. अपृच्छन्धास्यतीति किम् 3. 619*. 1 post. अपृच्छनापि मे शृणु 12.9. 31. अपृच्छ अवहेमाभां 2. 16.50%. अपृच्छन्मधुसूदनम् 5. 87.244. अपृच्छन्सहसाभ्येत्य 12. 321. 99. अपृच्छन्स्वं प्रयोजनम् 12. 125. 22. अपृच्छं मातलिं ततः 3. 169. 264. अपृच्छं मातलिं राजन् 3. 170.5. अपृच्छंश्चैव तां दृष्ट्वा 4. 8. 3. अपच्छंश्चैव ते तत्र 12. 126.26%. अपृच्छंश्चैव मां सर्वे 9.28. 56*. अपच्छं स च मां प्रीतः 13. App. 1A.26pr. अपृच्छं हृदिकात्मजम् 3. 21. 30. अपृथग्दर्शिनः सर्वे 12. 230. 80. अपृथग्धर्मिणो माः 12. 224. 634. अपृष्टम्तस्य तद्र्यात् 5. 31. 4. - 149 -