________________ अन्वासत दुराधर्षे ] महाभारतस्थ [अपकृष्टकमण्डलुम् अन्धासत दुराधर्ष 6. 116.64. अन्धासन्सुचिरं कालं. 11. 8. 1. अन्वासीनः स राक्षसः 3. 262. 2. अन्यात बुष्णिशालः 4. App. 61. 23 pr. अन्धास्ते च नदी देवं 9. 43. 200. अन्धास्यते नरश्रेष्ट 3. 81. 147. अन्धास्वमानः सततं 5. 146. 11'. अन्वास्यमाना मुनिभिः 3. 6. 4. अन्धास्य सत्येन यदात्य पार्थ 8.678*. 1. अन्धाहरन्तु फलकं 5.35. 11. अन्नाहारं समादाय 1. 2076*. 1 pr. अन्धाहार्य महाराज 13. 87.6. अन्याहार्य दिर्बुधाः 13. 404*. 3 post. अन्याहार्येसमदक्षिणेतु 5. 27. 11. अन्वाहार्योपकरणं 12. 29. 118. अन्विच्छतां शुभं कर्म 12.284. 10% अन्विच्छन्तः शरीरं तु 7. 165.61". अन्विद्धन्ती महोयो 5, 127.9%. अन्धिच्छन्नियतात्मनः 13. 12.". अन्त्रिच्छन्नैष्टिकं कर्म 12. 221.. अन्विच्छन्परमं ब्रह्म 1. App. 100.67 pr. अन्विच्छन्यरिचक्राम 1. 155, 1deg ; App. 79. bpr. अन्धिप्छन्स सुदुर्लभम् 12. 211. 84. अन्वितस्य फलं शृणु 13. 72. 23. अन्वितं पाण्डुनन्दनः 16.8.20. अन्वितं विदुषां प्रियम् 1. 1. 264. अन्वितः परिपूर्णार्थः 1.962*. 1 pr. ; App. 53.3 pr. अन्विता राजशाल 1 213. 82. अन्विताश्च शतनाभिः 3. 268.5. अन्वितो बलशालिनाम् 3. 195. 10". अन्विद्भिवने तायं 3. 1370*.7pr. अम्विन्यतां वैज्वलनः 13.81. 14. अन्विन्यतां स तु शिनं 13. 84. 184. अविष्य दाबामास 16.8.31. अन्विस्थ मनसा मुकः 12. 187.55. अन्विष्यमाणं तदपि 12. 171. 13. भन्वीक्ष्य कारणं चैव 3. 100*. 1 pr. अन्वीक्ष्य मेष, वने 3.226*6pr.. अन्वीक्ष्यमाणः कविभिः 12.252. 13. अन्धीय च पुनः सवान् 6.71. 17. अन्धीय पाण्डवान्भ्रान् 3. 11. 4. अन्धीयमानः सहित: 6.93.26. अन्धीयमानो रुद्रेण 10. 18. 14. अन्वीयमानो वीरेण 11. 11. 30. अन्बेके प्रजिहीर्षन्ति 5. 134. 3. अन्वेतारः कङ्कपत्राः शितायाः 8. 27.31. अन्वेति तद्वै पुरुषेण सृष्टम् 1. 85. 10. अन्वेति विजने वने 15. 29.74. अन्वेनां वायवो वान्ति 12. 103. 6". अन्वेव च ततो व्योम्नः 8. 49. 37. अन्वेव चैन्द्रं विजयं 12. 97. 18. अन्वेव वायवो वान्ति 6. 4. 244. अन्वेषणार्थ पार्थस्य 1. 145*. 2 pr. अन्वेषणे पाण्डवानां 4. 24. 18". अन्वेषति स्म भर्तारं 3. 60. 17. अन्वेषन्त तदा नष्टं 9. 46. 17. अन्वेषन्तो नलं राजन् 3.67.21". अन्वेषमाणश्च न तत्र पुत्रं 3. 113. 14. अन्वेषमाणः सबलः 1. 1732*. 1 pr. अन्वेषमाणा भर्तारं 3.61.81". अन्वेषमाणास्तुरगं 3. 107. 16. अन्वेषमाणां भर्तारं 3.61. 49. अन्वेषमाणाः सनीडाः 3. 182. 12. अन्वेषिता च तत्सर्वे 4.504*. 3 pr. अन्वेष्टव्याश्च निपुणं 4. 25. 11. अन्वेष्टव्याः सुपुरुषाः 12. 118. 24". अन्वेष्टारो ब्राह्मणाश्च 3. 308*. 1 pr. अन्वेष्टुमुपचक्रमे 13. App. 3A. 299 post. अन्वेष्टुं वनमागतः 12. 126. 27d. अन्वेष्यामि च भर्तारं 1. 1262*. 1 pr. अन्वेष्यामीह भारम् 1. 116. 24". अप आविश्य भावयेत् 13. App. 14. 50 post. अप एव ससर्जादौ 5. 294*. 1 pr. अपकर्षन्ति दुःखिताम् 11. 20.27. अपकल्कस्तु राजेन्द्र 1. 1800*.5pr. अपकारागवेदरिः 12. 200*. 2 post. अपकारिणं तु मां विद्धि 13. 98.76. अपकारियु या सक्ता 12. 293*.2pr. अपकुर्युयुधिष्ठिरे 2. 228. 16. अपकृत्ताश्च पतिताः 6. 92.51". अपकृत्य परेषां हि 12. 137.70%. अपकृत्य बलस्थस्य 12.94. 200. अपकृत्यापि सततं 12. 137. 14. अपकृत्वा बुद्धिमतः 5.38.8". अपकृत्वा महत्तात 7.61. 48. अपकृष्टकमण्डलुम् 3. 17.14. - 132 -