________________ 80 ] बाड़मेर-जिले के प्राचीन जैन शिलालेख (361) 16. सणगारश्रीपादुका:-- संवत 1961 माघ शुक्ल 13 शनिवारे गुरणीजी श्रीसणगार श्रीजी चर्ण-पादुका साध्वी सुन्दरश्री स्व.परदर्शनार्थ करापितं तपागच्छाधिप अनुयोगाचार्य श्रीमद् स्वर्गस्थ गुरुदेव श्री पं. हितविजयजी 'महाराज के शिष्य पं. हिम्मतविजयेन प्रतिष्ठितं श्रीमेवानगरे लि. पं. चतुरसागर पीपाड़ निवासी। 20. सुन्दरश्री मूत्तिः -- ॥सं. 1966 कार्तिक कृष्ण पक्षे 8 दिने गुणपुष्ययोगे तीर्थोद्धारक साध्वी श्रीसुन्दर श्रीजी महाराज की मूत्ति स्थापितं / / ___ (363) 21. सुन्दरश्री की छत्री परः-- श्री श्री श्री 1008 श्रीहितविजयजी महाराज के समुदाय की स्वर्गस्थ स्थविरा साध्वीजी श्रीसणगार श्रीजी की सशिष्या स्वर्गीय सुशीला प्रवर्तिनी साध्वोजी श्रीसुन्दर श्रीजी ने महान परिश्रम द्वारा अनेका अनेक भविजनों को सदुपदेश देकर इस महान प्राचीन पवित्र तीर्थ का पुनरुद्धार कराया है। विशेष यह है कि उक्त सदगुरुदेव महाराज के शिष्य रत्न प्रतिष्ठा- अंजनशलाकादि विविध क्रिया-कुशल प्रवर श्रीश्रीश्री 1008 श्रीश्रीश्री प्राचार्य महाराज श्री-. - हेमाचलसूरीजी महाराज और उक्त साध्वीजी श्रीमाणक्य श्रीजी तथैववत शिष्या साध्वी जी श्रीप्रसन्न श्रीजी के शिष्या करणश्री भुवनश्री मादि संवत 1966 सु.. . . - इस प्राचीन पवित्र तीर्थ की आज दिन तक देख-रेख करते हैं लेख सं. 2011 मिति मगसर 7 . (364) 22. सुमतिनाथ: * / 2016 माघ शु. 14 गुरु-पुष्ययोगे श्रीसुमतिनाथबिम्ब पुण्यपतब, शिवाजीनमरे वा. सघवी केसीमल तत्पत्नी मगीदेवी तत्पुत्र सूरजमले लीलादेवीपत्नीसहितेन कारित प्रति. मेबानगरस्य . श्रीनाकोड़ातीर्थ