________________ ( 6 ) मन्दिरों के जीर्णोद्धार हुए जिसमें नाकोड़ा तीर्थ, नगर, गुडा, कनाना, इस्सानी, विशाला, भाडरवा, आसोतरा, पाटौदी, बालोतरा, पर्चपदरा, बाड़मेर, खण्डप पारल, सरणपा, मोकलसर कोटड़ा, राणीगांव, कर्मावास, जेठन्तरी अर्थात् बाड़मेर जिले के हर क्षेत्र में जिन-मन्दिरों के निर्माण, प्रतिष्ठाएं इत्यादि के शिलालेख मिलते हैं / इसी काल में खरतरगच्छचिर्य दादा गुरुदेव कोतिरत्नसूरिजी, जो इसो क्षेत्र के मेवानगर के रहने वाले धर्म व जिनालय बनाने का विशाल रूप से कार्य किया। प्राचार्य कीत्तिरत्नसूरि की स्तुति में इस क्षेत्र में गुरु प्रतिमायें, गुरु-गादुकायें व शिखोलेखें अत्यन्त महत्त्वपूर्ण हैं / इस सदो के विभिन्न मन्दिरों में नाकोड़ा-तीर्थ के मन्दिरों में निर्माण व जीर्णोद्धार एक ऐतिहासिक उपलब्धि है जिसके लिखित नाकोड़ा ग्राम के नागद्रह से प्राप्त श्रीपार्श्वनाथ की प्रतिमा को मेवानगर (चीरमपुर) से मूलनायकजी के रूप में विराजमान करना इस क्षेत्र का एक सौभाग्यपूर्ण प्रसंग कहा जा सकता है / - इसके पश्चात् भारत की राजनीति में मण्डौर व जोधपुर में मलानी क्षेत्र से ही विस्तार पाये राठौड़ राजवंश का उदभव व मुगलसत्ता का विस्. तार अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। मुगलकाल की राजनैतिक गतिविधियों ने इस क्षेत्र को भी अत्यन्त प्रभावित किया / जोधपुर के राव मालदेव का अपने ज्ये. पुत्र रामदेव से अप्रसन्नता के कारण चन्द्र सेन को राज्य देना व साम्रट अकबर का चन्द्रसेन के विरुद्ध अभियान, चन्द्रसेन का सिवाना व मालानी केपहाड़ों में मोर्चा बांधना व इस क्षेत्र में मुगल सेनाओं का निरन्तर जमाव पूनः एक प्रशान्त वातावरण को उत्पन्न करते हैं। और यह पूरा क्षत्र उस अशान्ति से प्रभावित होकर इस क्षेत्र के अनेक प्राचीन नगर व्यापार व्यवसाय से रिक्त हो जाते हैं और इसी क्रम में महाराज जसवन्तसिंह के स्वर्गवास हो जाने पर अजीतसिंह को राठौड़ वीर दुर्गादास द्वारा मुगल चंगुल से बचाकर लाये उन्हें सिवाना के छप्पन के पहाड़ों से भोमलाई तक कीपहाड़ी शृखला में रखनाव समस्त मारवाड़ में मुगल आधिपत्य के साथ निरन्तर मुगल-राजपूत संघर्ष इस क्षेत्र के समस्त राजनैतिक, आर्थिक व धार्मिक जीवन को प्रभावित करते है / फलस्वरूप खेड़, महेवा, जसोल व मालानों के सम्पूर्ण क्षेत्र में जनजीवन प्रशान्त रहता है / अतः इसी काल में मेवानगर खालो हा वहां के निवासी एक शान्त व सुलभ वातावरण हेतु विभिन्न क्षेत्रों में फैल गये / हालांकि मेवानगर के नानक जी संखलेचा का वहां के शासक पुत्रों द्वारा अपमान इस घटना का तात्कालिक कारण बना पर वास्तव में उस समय अनेक ऐसी राजनैतिक परिस्थितिये थी