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________________ 46 गुणस्थान विवेचन * एक मुहूर्त में 3773 श्वासोच्छवास होते हैं। एक श्वासोच्छवास में असंख्यात आवलीहोती हैं। एक आवली+एकसमय यह जघन्य अंतर्मुहूर्त है। उत्कृष्ट अंतर्मुहूर्त से एक समय कम और जघन्य से एक समय अधिक ऐसे मध्यम अंतर्मुहूर्त अंसख्यात होते हैं। 82. प्रश्न : मुहूर्त किसे कहते हैं ? उत्तर : (दो घड़ी)अड़तालीस मिनिट को मुहूर्त कहते हैं। 83. प्रश्न : पूर्व किसे कहते हैं ? उत्तर : 70 लाख 56 हजार करोड़ वर्ष काल को पूर्व कहते हैं। 84. प्रश्न : सागरोपम किसे कहते हैं ? उत्तर : दस कोड़ाकोड़ी अद्धापल्योपम काल को सागरोपम काल कहते हैं। 85. प्रश्न : असंख्यात किसे कहते हैं ? उत्तर : संख्यातीत कल्पित राशि में से एक-एक संख्या घटाते जाने पर जो राशि समाप्त हो जाती है, उस राशि को असंख्यात कहते हैं। * जो संख्या पाँचों इन्द्रियों का अर्थात् मति-श्रुतज्ञान का विषय है, उसे संख्यात कहते हैं। * अवधिज्ञान और मन:पर्ययज्ञानगम्य संख्या को असंख्यात कहते हैं। * जिसकी गिनती न हो सके, उसे असंख्यात कहते हैं। * संख्यातीत राशि को असंख्यात कहते हैं। 86. प्रश्न : अनंत किसे कहते हैं ? उत्तर : असंख्यात के ऊपर केवलज्ञानगम्य संख्या को अनंत कहते हैं। * नवीन वृद्धि न होने पर भी संख्यात या असंख्यातरूप से कितना भी घटाते जाने पर जिस संख्या का अंत न आवे, उसे अक्षय अनंत कहते हैं / (* जिस संख्या का अन्त आ जाये, उसे सक्षय अनंत कहते हैं।) 87. प्रश्न : समुद्घात किसे कहते हैं ? उत्तर : मूल शरीर को न छोड़कर तैजस-कार्माणरूप उत्तर देह के साथ जीव-प्रदेशों के शरीर से बाहर निकलने को समुद्घात कहते हैं। 88. प्रश्न : समुद्घात कितने और कौन-कौन से हैं ? उत्तर : समुद्घात सात प्रकार का होता है - वेदना, कषाय, विक्रिया, मारणान्तिक, तैजस, आहारक और केवल समुद्घात /
SR No.032827
Book TitleGunsthan Vivechan Dhavla Sahit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashpal Jain, Ratanchandra Bharilla
PublisherPatashe Prakashan Samstha
Publication Year2015
Total Pages282
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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