________________ - आशीर्वाद - ननम्य+सीष्ट- ननमिषीष्ट, जेजीय+ई+सीष्ट= जेजीयिषीष्ट कृदन्त समजुति - व्यंजनांत धातुथी पर रहेला यडन्त ना य नो लोप करवो - हेत्वर्थ - ननम्य+इन्तुम् ननर्मितुम्, जेजीय+इस्तुम् जेजीयितुम् - संबंधक भू - ननम्य+इ+त्वा= ननमित्वा, जेजीय+इ+त्वा= जेजीयित्वा प्रननम्य+य= प्रननम्य, विजेजीय+य= विजेजीच्य - कर्तरि भूत - ननम्य+इ+तवत्= ननमितवत्, जेजीय+इ+तवत्= जेजीयितवत् - कर्मणि भूत - ननम्य+इ+त= ननमित, जेजीय+इ+त= जेजीयित - विध्यर्थ - ननम्य + य= ननम्य, जेजीय+य= जेजीय्य, नंनम्य+अनीय ननमनीय, जेजीय+अनीय= जेजीयनीय, ननम्य+इ+तप्य= ननमितव्य, जेजीय+इस्तप्य= जेजीयितप्य - भविष्यत् कर्तरि/कर्मणि - ननम्य+इ+स्यमान- ननमिष्यमाण जेजीय+इ+स्यमान जेजीयिष्यमाण। परोक्ष कर्तरि/कर्मणि नंनम्य+आन नंनमान, जेजीय+आन= जेजीयान यडन्त प्रक्रिया - यड् नो बहुलता ए लोप थाय, - यड् लुबन्त धातुओ परस्मैपदी मां वपराय छे. अने बीजा गण जेवारूपोथय छे. ते थी (शव) विकरण प्रत्यय लागे नहि. - व्यंजन शइथता वित् प्रत्यय पर छता यड्, लूपू धातु थी बहुलता ई थाय छे. - यड्लुबन्त ना कर्मणि रूपो यडन्त ना कर्तरि रूपो जेवा ज थाय छे. - श्वस्तनी, भविष्यन्ति, क्रियातिपत्तिमां सेट् नो इट् लगाडी रूपो करवा। उपान्त्यमा हुस्वनामी अने अन्त्य हुस्व के दीर्घनामी स्वर नो गुण करवो। - परोक्षमा आम् करी कृ, भू अस् ना रूपो जोडवा। - अद्यतनी मां पूर्व लखेल रूपो मा जे प्रमाणे करेल छ। ते प्रमाणे करवा (कर्मणि रूपो पण पूर्व जेवा थाय छे) - आशीर्वाद - आशीना प्रत्ययो लगावी करवा. कर्मणि रूपो सेट् नो इट् लगावी करवा।