________________ हस्तिकुण्डी के प्राचार्य-३५ श्रीपार्श्व नाग एवं सुमनहस्तिजी के विषय में अधिक जानकारी नहीं मिलती। हस्तिकुण्डीगच्छ के प्राचार्यों की नामावली का एक शिलालेख जोधपुर के मुंशी देवीप्रसाद जी ले गए थे। भाग 10, पृष्ठ 17 से 20) श्रीमद् विजयवल्लभसूरीश्वरजी विजयवल्लभसूरिजी का जन्म बड़ौदा नगर में विक्रमी संवन् 1927 में हुआ था। इनके पिता का नाम दीपचन्द जी और माता का नाम इच्छाबाई था। 6 वर्ष की अवस्था में ही बालक छगनलाल पितृविहीन हो गए थे। दो वर्ष बाद इनकी माता भी मरणधर्म को प्राप्त हुई / माता ने इन्हें उपदेश दिया था कि वे अपने आपको अनाथ न समझकर अर्हत् की शरण स्वीकार करें। बालक छगनलाल के मन में वैराग्य के बीज अंकुरित हो गए। जब वे 15 वर्ष के थे उस समय जैनाचार्य श्रीमद्विजयानन्द सूरीश्वरजी बड़ौदा पधारे / उनके उपदेशामृत से छगनलाल ने दीक्षा ले ली एवं मुनि विजयवल्लभ नाम प्राप्त किया। विक्रम सम्वत् 1953 में गुजरांवाला में श्री विजयानन्दसुरिजी कालधर्म को प्राप्त हुए। अपने जीवन की अन्तिम रात्रि में गुरु ने इस योग्य शिष्य को सन्देश दिया कि देव-मन्दिरों की रक्षा के लिए सरस्वती-मंदिरों की स्थापना करने का प्रयत्न करना / साधू-धर्म का पालन करते हए विजयवल्लभसूरिजी ने सामाजिक उत्थान एवं शिक्षा-प्रसार को अपना लक्ष्य बनाया। आपके प्रयत्नों से बम्बई में श्री महावीर जैन विद्यालय की स्थापना हुई जिसने शिक्षा के क्षेत्र में बहुत काम किया है। श्री प्रात्मानन्द जैन कालेज, अम्बाला; श्री पार्श्वनाथ उम्मेद कालेज, फालना; श्री