________________ हस्ति कुण्डी की ऐतिहासिक सामग्री-१६ इन शिलालेखों के अतिरिक्त महावीरजी के मंदिर से तीन शिलालेख और प्राप्त हुए हैं। जिनमें वि. सं. 1015, 1048 एवं 1122 खुदा हुआ है / ये लेख अपूर्ण हैं / इनके बाद का 1335 वि. का केवल एक शिलालेख हस्तिकुण्डी की उजड़ी अवस्था का चित्रण करता है जिसके अनुसार श्रावण मास की वदी 1 सोमवार को सेवाड़ी के श्रावकों ने मंदिर पर ध्वज चढ़ाया जिसमें रातामहावीरजी नाम का उल्लेख है / श्रीराताभिवानस्य श्री महावीरदेवस्य नेचा प्रचयं वर्षस्थितिके कृत / (शिलालेख सं. 316) सेवाडी के श्रावक ध्वज चढाने क्यों आए ? शायद तब तक नगरी उजड़ गई होगी। _संवत् 1345 विक्रमी के शिलालेख में सर्वप्रथम हस्तिकुण्डी का अपभ्रश नाम हाथिउंडी मिलता है / अब यह ग्राम निश्चित रूप से नाडौल के अन्तर्गत होगया था एवं उजड़ गया था तभी तो सेवाड़ी के श्रावक यहाँ वार्षिक ध्वज चढ़ाने आये होंगे।