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________________ नषधीक्वरिते नलम् चतस्रश्च ताः विश: दिशाः ( द्विगु ) ताभ्यः एताः आगताः (10 तत्पु०) स्त्रियः चतुष्पथे चत्वरे सुखम् बिना क्लेशेनेव यथा स्यात्तथा अग्रहीष्यन् अधरिष्यन् चेत यदि तस्मिन् नले संघटय अभिहत्य भृशा अधिका या भी: भयम् (कर्मधा०) तया निवृत्ताः परावृत्ताः ताः एव पूर्वोक्ताः स्त्रियः तस्मै नलाय वम मार्गम् (च. तत्पु. ) न अदास्यन् व्यतरिष्यन् / अदृश्येन नलेन संघट्टमानाः स्त्रियो भीतभीताः परावृत्ताः नलाय मार्ग ददुः, तस्मात् तं धतु नाशक्नुवन्निति भावः // 27 // व्याकरण-एताः आ + इ + क्त + टाप् / चतुष्पये इसके लिए पीछे श्लोक 24 देखिए / संघट्ट्य सम् + Vघट्ट + ल्यप् / भीः भी+ क्विप ( भावे)। अग्रहीष्यन , अदास्यन क्रियातिपति में लड़। अनुवाद-आँखें मीचे हुए उन ( नल ) को चारों दिशाओं से आई हुई स्त्रियाँ चौराहे पर सहज ही में पकड़ लेती यदि उन ( अदृश्य नल ) से टकराकर अत्यन्त भयभीत हो, वापस लौटी वे ही उन्हें रास्ता न दे देती तो // 27 // टिप्पणी-स्त्रियों ने अदृश्य नल से टकराकर यह समझा कि कहीं भूत-प्रेत न्तो न टकरा गया हो; भूत-प्रेत ही अदृश्य हुआ करते हैं, इसलिए भय से अभि'भूत हुई वे सिरपर पैर रखकर भाग गई। उन्हें पकड़ती तो कैसे पकड़तीं। भाग जाने का कारण बताने से विद्याधर ने यहाँ कायलिंग बताया है / स्त्रियों में भय नामक सञ्चारी भाव बताने से भावोदयालंकार भी है / 'चतु' 'चतु' में छेक और अन्यत्र वृत्त्यनुप्रास है। संघयन्त्यास्तरसात्मभूषाहीराकुरप्रोतदुकूलहारी / / दिशा नितम्बं परिधाप्य तन्व्यास्तत्पापसंतापमवाप भूमः // 28 // अन्वयः-तरसा संघट्टयन्त्याः ( कस्याश्चित् ) तन्व्याः आत्म""हारी भूपः नितम्बं दिशा परिधाप्य तत्पाप-संतापम् अवाप / टीका-तरसा वेगेन संघटयन्त्या: अभिघातं प्राप्तायाः कस्याश्चित् तन्वनया: आत्मनः स्वस्य याः भूषाः अलङ्काराः (10 तत्पु० ) तासु ये हीरकाः हीराः ( स० तत्पु० ) तेषाम् अकुरेषु कोटिषु अग्रभागेष्वित्यर्थः (10 तत्पु० ) प्रोतम् सक्तम् लग्नमिति यावत् ( स० तत्पु० ) यद् दुकूलम् वसनम् ( कर्मधा० ) तत् हरति अपनयतीति तथोक्तः ( उपपद तत्पु० ) भूपः राजा नलः नितम्बम् तस्याः कटिभागम् दिशा दिशया परिधाप्य आवृत्य दिगम्बरीकृत्येत्यर्थः तेन
SR No.032785
Book TitleNaishadhiya Charitam 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohandev Pant
PublisherMotilal Banarsidass
Publication Year1979
Total Pages590
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size37 MB
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