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________________ 218 नषधीयचरिते मध्यं तनूकृत्य यदीदमीयं वेधा न दध्यात्कमनोयमंशम् / केन स्तनो सप्रति यौवनेऽस्याः सजेदनन्यप्रतिमाङ्गयष्टेः / / 82 // अन्वयः-वेधाः इदमीयम् मध्यम् तनकृत्य कमनीयम् ‘अंशम् यदि न दध्यात् ( तहि ) सम्प्रति यौवने अनन्यप्रतिमाङ्गयष्टे: अस्याः स्तनौ केन सृजेत् ? टीका-वेधा: ब्रह्मा अस्या इदम् इदमोयम् एतदीयम् अस्याः दमयन्त्या इत्यर्थ: मध्यम् कटिम् तनकृत्य कृशीकृत्य कमनीयम् रमणीयम् अंशम् कटिसम्बद्धभागम् निष्कास्येति शेषः यदि न दध्यात यदि न स्थापयेत्, तहि सम्प्रति इदानीम् यौवने तारुण्ये न अन्येन प्रतिमा उपमा ( त० तत्पु० ) यस्याः तथाभूता ( ब० बी०) अङ्गयष्टिः ( कर्मधा० ) अङ्गम देहः यष्टिरिव ( उपमित तत्पु० ) यस्याः तथाभूतायाः ( ब० वी० ) अस्याः दमयन्त्याः स्तनौ कुची केन अंशेन उपकरणेन वा सृजेत् रचयेत् ? न केनापीति काकुः / ब्रह्मणा कटितो मांसं निष्कास्य स्तनयोः स्थापितम्, अत एव मांसनिष्कासनात् कटिः कृशा मांसस्थापनाच्च स्तनौ स्थूलौ जातौ इति भावः // 82 // व्याकरण-इदमीयम् इदम् + छ, छ को ईय तन्नकृत्य अतनु तनु सम्पद्यमानं कृत्वेति तनु + कृ+वि पूर्वपद को दीर्घ / कमनीयम् काम्यते इति/ कम् + अनीयर् / यौवने यूनः युवत्याः वा भावः इति युवन् + अण् / अनुवाद - ब्रह्मा इस ( दमयन्ती) की कमर पतली करके ( उस ) सुन्दर अंश को यदि न धर रखता, तो आज यौवन में छड़ी-सी अनुपम देह वालो इस ( दमयन्ती ) के स्तन किससे बनाता ? // 82 // टिप्पणी-इस श्लोक में कवि दमयन्ती की कमर का वर्णन कर रहा है। वह बड़ी पतली है। इस पर कवि-कल्पना यह है कि मानो ब्रह्मा ने उसे छिल दिया हो, और वह छिला हुआ सुन्दर मांस स्तनों पर घर दिया हो। इसी तरह की मार्मिक कल्पना हिन्दी के प्रसिद्ध मुस्लिम कवि-दम्पति शेख और आलम की भी प्रश्नोत्तर रूप में कर रखी है-'कनक-छड़ी सी कामिनी काहे को कटि छोन' ? 'कटि को कंचन काट विधि कुचन मध्य धर दीन' // कल्पना होने से उत्प्रेक्षा है, लेकिन विद्याधर अनुमानालंकार कह रहे हैं / शब्दालंकार वृत्त्यनुप्रास है। गौरीव पत्या सुभगा कदाचित्कर्तयमप्यधतनूसमस्याम् / इतीव मध्ये विदधे विधाता रोमावलीमेचकसूत्रमस्याः / / 83 / /
SR No.032785
Book TitleNaishadhiya Charitam 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohandev Pant
PublisherMotilal Banarsidass
Publication Year1979
Total Pages590
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size37 MB
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