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________________ नैषधीयचरिते अनुवाद-इस ( दमयन्ती ) के मुख-रूपी चन्द्रमा ने आगे और अगलबगल से जिस अन्धकार को हटा दिया–पराजित कर दिया था, वही यह ( अन्धकार ) ( मानो ) स्पष्ट रूप में चमक रहे, घुघराले केशों के बहाने पीछे बँधा हुआ है // 21 // टिप्पणी-पीछे बँधे हुए केश-कलाप के सम्बन्ध में कवि की कल्पना है कि मानो यह अन्धकार हो जिसे पीछे होने के कारण मुख-चन्द्रमा हटा न सका। वैसे भी पराजित किये हुए किसी व्यक्ति को पराजय-चिह्न के रूप में हाथ पीछे बाँधे रखते हैं। भाव यह निकला कि दमयन्ती के केश बड़े काले और घुघराले थे। यहाँ मुख पर चन्द्रत्वारोप होने से रूपक और कच के छल से हाथ-बंधे अन्धकार की कल्पना में अपहनुति तथा उत्प्रेक्षा है, जो प्रतीयमान ही है, वाच्य नहीं, 'अस्या' 'दास्ये' में स और य तथा 'स्फुट' 'स्फुर' में स और फ की सकृत् आवृत्ति में छेक और अन्यत्र वृत्त्यनुप्रास है। अस्याः कचानां शिखिनश्च किंनु विधि कलापौ विमतेरगाताम् / तेनायमेभिः किमपूजि पुष्पैरभत्सि दत्त्वा स किमर्धचन्द्रम् // 22 // अन्वयः-अस्याः कचानाम् शिखिनः च कलापो विमतेः विधिम् अगाताम् किम् नु ? तेन अयम् एभिः पुष्पैः अपूजि किम् ? सः अर्धचन्द्रम् दत्त्वा अत्सि किम् ? टीका-अस्याः दमयन्त्याः कचानाम् केशानाम् शिखिनः मयूरस्य च कलापो समूहः अथ च पिच्छ: विमतेः वमत्यात् विधिम् ब्रह्माणम् अगाताम् अगच्छताम् किं नु ? / केश-कलापः मयूरकलापश्च अहमुत्कृष्टः अहमुत्कृष्टः इति परस्परं विवदमानी निर्णयार्थ ब्रह्मणः पार्वे जग्मतुः किं नु ? इत्यर्थः / तेन ब्रह्मणा च अयं दृश्यमानः केश-कलापः एभिः दृश्यमानैः कचगतैः पुष्पैः कुसुमैः अपूनि पूजितः अचितः किम् ? मध्यस्थीभूतेन ब्रह्मणा 'केशकलापः उत्कृष्टः' इति निणंयं दत्त्वा तं पुष्पैः सत्कृतवान् किम् ? इति भावः / स मयूर-कलापः अर्धचन्द्रम् अर्धचन्द्राकारचिह्नम् अथ च गलहस्तं दत्त्वा अत्ति भत्सितः किम् ? दमयन्त्याः केशकलापापेक्षया हीनं मत्वा ब्रह्मा मयूर-कलापं गलहस्तदानपूर्वकं भत्सितवान् किम् ? उत्कृष्टो महांश्च सर्वत्र पूजां हीनो निकृष्टश्च भर्त्सनामेव लभते इति भावः // 22 // व्याकरण-शिखी शिखाऽस्यास्तीति शिखा + इन् (मतुबर्थे 'शिखामाला संज्ञादिभ्य इनिः' ) / विमतिः विरुद्धा मतिः इति वि + मतिः (प्रादि तत्पु० ) /
SR No.032785
Book TitleNaishadhiya Charitam 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohandev Pant
PublisherMotilal Banarsidass
Publication Year1979
Total Pages590
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size37 MB
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