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________________ स्पनरमाधरमनाथस्वामिएकझारपुरुससंवतलिकं अरियम घवेतालीसगएधरघोसहहजारसाक बासहरजारम्भमें व्यारस्पः साथची बेलाषच्यारहजारश्रावक चारनातिरमारमाविका पीला जीसधनषदेमानसलाघवधा कंचनवर्ग:वालबनवि घरताश्रीविलगिरीयधास्वा घाजीवतिर्थनोमरिमाकदिवि हारकरतासमतसिघरे माहम्मुनीसहीताश्रीधर्मनाथपस स्वरसिध्पदामोपाध्याममोकश्रीसिधाचनविमलाच लपर्वतायनेमोनम नमस्कारोज्योः // 25 // श्रीः श्री: मूल पाठ हवें पनरमा धरमनाथ स्वामिः। एक हजार पुरुषसुं व्रत लिधुं। अरिष्ट प्रमुखः त्रेतालीस गणधर, चोसठ्ठ हजार साधु, बासठ्ठ हजार अने च्यारस्यें साधवी, बे लाख च्यार हजार श्रावक, चार लाख तेर हजार श्राविका। पीस्तालीस धनूंष देहमान, दस लाख वर्ष आउं. कंचन वर्णः वज लंछन। विचरतां श्री विमलगिरीइं पधारया। घणां जीवनें तिर्थनो महिमा कहि विहार करतां समतसिखरेंः आट्ठस्य मुंनी सहीतः श्री धर्मनाथ परमेस्वर सिधपदे वरया, मोक्ष पाम्याः। नमोस्तु श्री सिधाचल, विमलाचल पर्वताय ने(न)मो नमं नमस्कार होज्योः। 15 / श्रीः श्रीः। हिन्दी अनुवाद 15. धर्मनाथजी आपने 1000 पुरुषों के साथ प्रव्रज्या ग्रहण की थी। आपके परिवार में अरिष्ट प्रमुख 43 गणधर थे। 64,000 साधु, 62,400 साध्वियां, 2,04,000 श्रावक और 4,13,000 श्राविकाएं थीं। आपका देहमान 45 धनुष ऊंचा था। आपका वर्ण कंचन (सुवर्ण) है। आपका लांछन वज्र है। आपकी आयु पूरे दस लाख वर्ष की थी। पटदर्शन
SR No.032780
Book TitlePat Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalpana K Sheth, Nalini Balbir
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2010
Total Pages154
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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