________________ पाहवेलरमाःविमलनाथपरमेश्वरजी:एकसहसपुरुषस्मृदियाः दारपुषसत्तावनगयाघरासम्हजारमानाराकानापमानसम वीबिलापनाउहजार आवकःयारलाषाविसबजारमाविका साधबदेहमामासाहलायरसमुंवायु: हेमवरणातअरमनः विशरकरताविमलगिराईपधास्यासिगिरीनोवतकरीविच रखानीसमेतसिभेनेजीउपरेमरसहाकाबहजारमुनिराजस्थ मिधानेरास्वाधीविमलपरमेस्वरजी नमस्कारमा नमोस्तासागरीयुमरिकगिरिनेवाई // श्रीः॥ श्री मूल पाठ एक सहस्र पुरुषस्युं दिक्ष्या। मंदीर प्रमुख सतावन गणधर, (अ)डसठ्ठ हजार मुंनिः, एक लाख आठसें साधवी, बे लाख आठ्ठ हजारः श्रावक, च्यार लाख चोविस हजार श्राविका। साठ धनुष देहमान, साठ लाख वरसनुं आयुः, हेम वरण, सुअर लंछनः, विहार करतां विमलगिरीइं पधारया, सिधगिरीनो वर्णव करी, विचरता श्री समेतसिखरेजी उपरें अणसण करी छ हजार मुनिराजस्युं सिधपदेने वरया। एहवा श्री विमल परमेस्वरजी ने नमस्कार हज्योः। नमोस्तु सिधगिरीः पुंडरिकगिरिने वांदु छु।13। श्रीः। श्रीः हिन्दी अनुवाद 13. विमलनाथजी आपने 1,000 पुरुषों के साथ प्रव्रज्या ग्रहण की थी। आपके परिवार में मंदीर (मन्दर) प्रमुख 57 गणधर थे। 68,000 साधु, 1,00,800 साध्वियां, 2,08,000 श्रावक और 4,24,000 श्राविकाएं थीं। आपका देहमान 60 धनुष ऊंचा था। आपका वर्ण हेम (सुवर्ण) हैं। आपका लांछन सुअर (वराह) है। आपकी कुल आयु पूरे साठ लाख साल की थी। घटदर्शन