________________ गहवआवमानीचपनस्वामिाएकहजारयूरुषसंघातेवता जायलिधो दिनपमघवारफेगएश्वराबेलाषयचासहजारसाधा समनापमषधिणलाक्सीहासाधवी लाघपंचासहजारमा वक ध्यारलाधएकाफहमारयाचिका दोउसाधनषदेहमान दसलाधपूर्वायु स्वेतवर्णससिलंघन एहवाश्रीचं धोद्यानमाबीसमासस्वा सप्नवसरणदेवरच्युनीसीधाचलजा मोगुणाविकपो तिहासघरना राजादेसनासाजली तिर्थनोमहिमा मोटोजोमी उछारकरिकराच्या श्रीचंपक जाविहारकरता एकहजारपूरुषसंनीसमेतसिपरेंसिधप पदनेवस्वानमोस्तश्रीमुकिगिरीजीनेनमानमः॥श्रीबाई निलगिरीराजनेनमोनमः // श्री. श्री श्री. श्री मूल पाठ हवे आठमा श्री चंद्रप्रभु स्वामि। एक हजार पुरुष संघाते व्रत प्रजाय लिधो। दिन प्रमुख त्राणुं गणधर, बे लाख पचास हजार साधु, सुमना प्रमुख त्रिण लाख ॲसी हजा(र) साधवी, बे लाख पचास हजार श्रावक, च्यार लाख एकाणु हजार श्राविका, दोढसो धनूष देहमान, दस लाख पूर्व- आयु, स्वेत वर्ण, ससि लंछन, एहवा श्री चंद्रप्रभु चंद्रोद्यान आवी समोसरया। समवसरण देवें रच्यु। श्री सिधाचलजीनो गुण वर्णव करयो। तिहां चंद्रसेखर नामें राजा। देशना सांभली तिर्थनो महिमा मोटो जांणी, उधार फरि कराव्यो। श्री चंद्रप्रभुजी विहार करतां एक हजार पुरुष सुं श्रीसमेतशिखरेः सिधपदने वरयाः। नमोस्त श्री मक्तिगिरिजीने नमोनमः। श्री बाहबल गिरिराजनें नमोनमः।8। श्रीः श्रीः श्रीः श्रीः। हिन्दी अनुवाद 8. चंद्रप्रभुजी आपने 1000 पुरुषों के साथ प्रव्रज्या अंगीकार की थी। आपके परिवार में दत्त प्रमुख 93 गणधर थे। 2,50,000 साधु, सुमन (सुमना) प्रमुख 3,80,000 साध्वियां, 2,50,000 श्रावक और 4,91,000 श्राविकाएं थीं। पटदर्शन 39