________________ ध्याताअन्तरात्मा ध्येयस्त, परमात्मा प्रकीर्तितः / ध्यानं चैकाग्र्यसंवित्तिः, समापत्तिस्तदेकता॥ 2 // ध्याता है अन्तरातमा है ध्येय तो परमातमा। है ध्यान मति-एकाग्रता निज आत्म में जलती शमां // तीनों बने जब इक समापत्ति कहावे एकता। एकत्व में मन रमण हो तो प्राप्त हो निज दिव्यताः।। 2 / / ध्यान करने वाला अन्तरात्मा है ध्येय परमात्मा को कहा गया है और ध्यान एकाग्रता की बुद्धि है। इन तीनों की एकता को समापत्ति कहा जाता है। The subject or the individual who meditates is the soul. The object of meditation is the super or pure soul. Concentration of thoughts is meditation or the process. Coming together of these three is called Samapatti or fusion. {234}