________________ इच्छा तद्वत्कथाप्रीतिः, प्रवृत्तिः पालनं परम्। स्थैर्य बाधकभीहानि:, सिद्धिरन्यार्थसाधनम्॥4॥ योगी कथा में प्रीति धरना यही इच्छा योग है। वर यत्न से पालन करो यह शुभ प्रवृत्ति योग है। अतिचार भय के त्याग को स्थिर योग शास्त्रों में कहा। पर अर्थ की हो सिद्धि सिद्धि योग उसके मन बहा4॥ योगी की कथा में प्रीति होना यह इच्छा योग कहलाता है उपयोग पूर्वक पालन करना यह प्रवृत्ति योग, अतिचार के भयों का त्याग स्थिरतायोग और अन्यों के अर्थ का साधन करना यह सिद्ध योग कहलाता है। To have liking for stories about yogis is evidence of this desire. To practise with perseverence is evidence of the level of indulgence. To be free of the fear of transgression is evidence of the level of stability. To care and work for the benefit of others is evidence of the level of purity. {212}