________________ व्यापारः सर्वशास्त्राणां, दिक्प्रदर्शनमेव हि। . पारं तु प्रापयत्येकोऽनुभवो भववारिधेः॥ 2 // सब शास्त्र आगम जगत के दिशि मात्र का सूचन करे। क्या सत्य क्या झूठ है ये तत्त्व सारे. उच्चरे // पर पार पारावार भव से परम अनुभव ही करे। अनुभूति रस ही आत्म में शिव हर्ष का झरणा झरे / / 2 / / निश्चय ही सभी शास्त्रों का कार्य दिशा दिखाना ही है, लेकिन संसार समुद्र से पार लगाने वाला तो एक अनुभव ही है। Truly, the task of all the scriptures and shastras is to guide one to the path of righteousness, however, it is experience alone that actually takes one across this sea of life. (202}