________________ शुद्धबुद्धस्वभावाय, तस्मै भगवते नमः॥८॥ सद्ज्ञान संयुत भाव वर अनुष्ठान किरिया हो सही। वह शुद्ध किरिया दोष रूपी पंक से निर्लिप्त ही। ज्ञान स्वरूपी श्रुत स्वभावी वंदना शिवकंत को॥८॥ ज्ञान सहित जिसका क्रिया रूप अनुष्ठान दोष रूप कचरे से लिप्त नहीं है. ऐसे और शुद्ध बुद्ध ज्ञान रूप सवभाव वाले भगवन्त को नमस्कार हो। Salutations to the pure, emancipated, all knowing Lord who is the embodiment of unambiguous knowledge and whose action is free of any garbage of ritualistic activity. {88}