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________________ प्रमाणानामुदाहरणानां च पद्यानामकाराद्यनुकमः। 325 ग्राम्याः स्मः 28 24 / ज्योतिर्यस्तदिदं तमः 228 7 घणसमय 256 4 | झगिति कनकचित्रे 166 9 घेत्तुआण चलविज्जुचडुलियं . 75 14 टव टव टवत्ति 18 2 चञ्चच्चञ्चू [नागा. 4 18] 100 . ढंदुल्लिंतु मरीहसि १५०(टि 3) चञ्चद्भुजभ्रमित- [वे. सं. 133 18 णहमुहपसाहिअंगो टि. 15 109 15 1 21] चतुर्विधा भजन्ते मां [श्री. भ. गी. 53 4 त एव तु निवेश्यन्ते [ध का. 60] 165 12 ततश्चोत्थापन कार्य [भ. ना शा. 36 1 5 14] चन्दनासक्तभुजग- (टि. 2)148 26 | 152 21 21 ततः सर्वैस्तु कुतपैः [भ. ना. शा. 35 23 चन्द्रवर्त्मनि भवन्ति रनभसाः 215 12 | 5 12] चमढियमाणसकंचण- 138 7, 19 | तत्परावे व शब्दार्थों [ध्व.का. 16] 119 16 153 2 तत्र वाच्यः प्रसिद्धो यः [ध.का 3] 105 25 161 14 चंदमयूहेहि णिसा तत्रार्थशून्य विज्ञान 50 11 (टि. 2)146 15 153 11 तथा चोत्थापने युक्ते [भ. ना. शा. 40 13 164 16 चारी चैव ततः कार्या [भ ना.शा. 36 3 तथाऽननावधूमेन 59 19 चिन्तीत्सुक्यसमुत्था- [भ.ना.शा. 291 18 तथा पाणिविभागार्थ [भ.ना शा. 36 19 7 49] 5 20] चूअंकुररावयंसं 160 22 | तथा शुष्कावकृष्टायां [भ. ना. शा. 40 16 चुंबिज्जइ सयहुत्तं 122 15 चौर्याभिग्रहयोगाद् [भ. ना. शा. 299 16 | तथा समक्षं दहता [कु. सं. स. 98 12 छायावन्तो गतव्याला भामह. 260 9 तदपोहेषु न तथा [भामह 5 8] 49 20 3 18] तदर्थहेतुसिद्धान्त- [भामह 5 13] . 63. 12 जसौ जसयला 206 22 तद्गुणरपकृष्टानां जाएज्ज वणुद्देसे 148 16 तद्गेहं नतभित्ति 178 11 152 20 तद् बिन्दुच्युतकादावपि 227 21 जातयो दूषणाभासाः [भामह. तद्वत्सचेतसां सोऽर्थो [व.का. 12] 113 14 जातिगुणाजातिगुणे 232 23 तनुरियं व 7. 19 जाहव्यां धृतमत्सरं 34 6 | तन्वी मेघजलाद्रपल्लवतया [विक्रमो. 132 5 जिणधम्मो 4 38] (टि. 6)
SR No.032756
Book TitleKalplata Vivek
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMurari Lal Nagar, Harishankar Shastry
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1968
Total Pages550
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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