________________ ठहर गये। यह देख विश्वामित्र को क्रोध आ गया और वे राजा की भर्त्सना करते हुये रानी को मारने लगे | उनके इस कराचार से दुःखित हो विश्वेदेवों ने उनकी निन्दा की / इससे कुपित हो विश्वामित्र ने उन्हें मनुष्ययोनि में पैदा होने का शाप दे दिया / विश्वेदेवों ने शाप से मुक्ति पाने के लिए उनका अनुनय किया / तब उन्होंने कहा-"देखो, जो मैंने कह दिया वह मिथ्या नहीं हो सकता। मनुष्ययोनि में तो अब तुम्हें पैदा होना ही पड़ेगा, पर तुम्हें यह छूट दे देता हूँ कि न तो तुम्हारा विवाह ही होगा और न तुम्हें सन्तान होगी और न तुम्हें काम, क्रोध श्रादि मनोविकार अभिभूत कर सकेंगे / फलतः संसार में न फँसकर तुम शीघ्र ही मनुष्य-बन्धन से मुक्ति पा जानोगे / " उसके बाद यही विश्वेदेव द्रौपदी के पुत्र होकर पैदा हुये और अविवाहित ही अश्वत्थामा के हाथ मारे गये। ___ इस कथा से राजा और राज्य के श्रादर्शरूप का परिचय प्राप्त होता है और यह शिक्षा मिलती है कि क्रोध से विद्या का नाश हो जाता है। अतः विद्याभ्यासी मनुष्य को क्षमाशील, वाचंयम और संयमी होना चाहिये आठवां अध्याय इस अध्याय में राजा हरिश्चन्द्र के शेष जीवन का वर्णन इस प्रकार है विश्वामित्र के अनुरोध पर राज्यदान की दक्षिणा का प्रबन्ध करने के निमित्त राजा अपनी पत्नी और पुत्र के साथ वाराणसी गये। वहां उन्होंने एक ब्राह्मण के हाथ अपनी पत्नी और पुत्र को तथा चाण्डाल के हाथ अपने आपको बेचकर विश्वामित्र को दक्षिणा दे सन्तुष्ट किया / एक दिन साँप के काटने से उनका पुत्र मर गया। उनकी रानी शैव्या उसे गोद में ले रोती - बिलखती उसी श्मशान पर पहुंची जहाँ वे अपने स्वामी चाण्डाल द्वारा मृतकों का कफन बटोरने के लिये नियुक्त किये गये थे। राजा और रानी के शरीर उस महान् कष्ट में इतने विकृत तथा परिवर्तित हो गये थे कि वे एक दूसरे को न पहचान सके। जब रानी अपना, अपने पुत्र का तथा राजा का नाम लेकर अपनी महाविपत्ति पर रुदन करने लगी तब राजा ने उसे पहचाना और वे दोनों शोकातुर हो विलाप करने लगे। अपने एकमात्र पुत्र के महावियोग से उत्पन्न उस दारुण दु:ख को सहने में असमर्थ होकर राजा और रानी ने पुत्र के शव के साथ जल जाने का निश्चय किया / ज्योंही चिता पर शव रख वे चिता में प्रवेश करने को उद्यत हुये त्योंही देवराज, धर्मराज प्रभृति सभी प्रमुख देवगण वहाँ उपस्थित हो गये और धर्मराज ने राजा को उस साहस से विरत किया / देवराज ने अमृत-वर्षा कर राजपुत्र को जीवित कर दिया तथा पत्नी