________________ ( 23 ) वासी बलि इन्द्र होंगे। राम, व्यास, गालव, दीप्तिमान् , कृप, ऋष्यशृङ्ग और अश्वत्थामा सप्तर्षि होंगे / विरजा, अर्ववीर, निर्मोह, सत्यवाक, कृति और विष्णु श्रादि सावर्णि मनु के पुत्रों के वंश इस मन्वन्तर के राजवंश होंगे। 6. दक्षसावर्णि___ दक्ष के पुत्र सावर्णि नवें मनु होंगे / उनके मन्वन्तर में पारामरीचि, भर्ग और सुधर्मा ये तीन देवगण होंगे। अग्निपुत्र षडानन जिनका नाम कार्तिकेय है, उस मन्वन्तर के इन्द्र होंगे, और उनका नाम अद्भुत होगा / मेधातिथि, वसु, सत्य, ज्योतिष्मान् , द्युतिमान् , सबल और हव्यवाहन सप्तर्षि होंगे। धृष्टकेतु, बहकेतु, पञ्चहस्त, निरामय, पृथुश्रवा, अर्चिष्मान् , भरिद्युम्न तथा बृहद्भय मनु के इन पुत्रों के वंश उस मन्वन्तर के राजवंश होंगे। 10. धीमान्-ब्रह्मसावर्णि- ब्रह्मा के पुत्र धीमान् दशवें मनु होंगे / उनके मन्वन्तर में सुख, श्रासीन और अनिरुद्ध ये तीन देवगण होंगे / शान्ति नाम के इन्द्र होंगे। आपोमर्ति, हविष्मान् , सुकृत, सत्य, नाभाग, अप्रतिम और वशिष्ठ सप्तर्षि होंगे। सुक्षेत्र, उत्तमौजा, भमिसेन, शतानीक, वृषभ, अनमित्र, जयद्रथ, भूरिद्यम्न और सुधर्मा मनु के इन पुत्रों के वंश उस मन्वन्तर के राजवंश होंगे। 11. धर्मसावर्णि___ धर्म के पुत्र सावर्णि ग्यारहवें मनु होंगे। उनके मन्वन्तर में विहङ्गम, कामग और निर्माणरति ये तीन प्रकार के देवता होंगे। महापराक्रमी वृष इन्द्र होंगे। हविष्मान् , वरिष्ठ, ऋष्टि, निश्चर, अनघ, विष्टि और अग्निदेव सप्तर्षि होंगे। सर्वत्रग, सुशर्मा, देवानीक, पुरूद्वह, हेमधन्वा और दृढायु मनु के इन पुत्रों के वंश इस मन्वन्तर के राजवंश होंगे। 12. रुद्रसावर्णि___ रुद्र के पुत्र सावर्णि बारहवें मनु होंगे / सुधर्मा, सुमना, हरित, रोहित और सुवर्ण ये पाँच प्रकार के देवता होंगे। महाबली ऋतधामा इन्द्र होंगे / द्युति, तपस्वी, सुतपा, तपोमूर्ति, तपोनिधि, तपोरति और तपोधृति सप्तर्षि होंगे / देववान् . उपदेव, देवश्रेष्ठ, विदूरथ, मित्रवान् और मित्रवृन्द मनु के इन पुत्रों के वंश उस मन्वन्तर के राजवंश होंगे। 13. रौच्य• रुचि नाम का एक ब्राह्मण था / उसे मुक्ति प्राप्त करने की बड़ी प्रबल इच्छा थी। गृह-सम्पर्क को बन्धन समझ उसने विवाह नहीं किया। निरीह भाव से वह