________________ ( 21 ) उन्नत, मधु, अतिनाम और सहिष्णु सप्तर्षि हुये / चाक्षुष मनु के पुत्रों के वंश इस मन्वन्तर के राजवंश हुये / 7. वैवस्वत विवस्वान् मार्तण्ड सूर्य का नाम है / उनका विवाह विश्वकर्मा की पुत्री संज्ञा देवी से हुअा। इस देवी ने सूर्यदेव के द्वारा वैवस्वत नाम का एक पुत्र पैदा किया / सूर्यदेव के प्रचण्ड तेज को न सह सकने के कारण उनके सम्मुख संशा देवी अपनी आँखें मूंद लिया करती थीं। इस अभ्यास से रुष्ट हो सूर्यदेव ने उन्हें शाप दे दिया कि तुमसे यम नामक एक पुत्र पैदा होगा जो प्रजाजनों को दण्ड देगा। यह सुन देवी के नेत्र चञ्चल हो उठे / तब सूर्यदेव ने दूसरा शाप दिया कि तुम से एक कन्या पैदा होगी जो अति चञ्चला होगी। इन शापों के अनुसार संशा देवी ने यम और यमुना को उत्पन्न किया। जब सूर्य का तेज सहन करने में वे अपने को उत्तरोत्तर असमर्थ ही पाती गई तो अपने स्थान में अपनी छाया को नियुक्त कर उसे ही अपनी सन्तानों को सौंप पिता के घर चली गई। पिता ने बड़े सम्मान से अपने यहां उन्हें रखा किन्तु विवाहिता कन्या का पिला के घर बहुत दिन रहना उचित न मान समझा-बुझा कर उन्हें बिदा कर दिया / पिता के घर से तो वे चल दी पर सूर्यताप के भय से पति के घर न जाकर उत्तरकुरु चली गई और वहीं अश्वा का रूप धारण कर तपस्या करने लगीं। इधर सूर्यदेव ने छाया-संज्ञा को ही सच्ची संज्ञा समझ उससे दो पुत्र तथा एक कन्या और पैदा की। अब छाया-संशा अपनी सन्तानों की अपेक्षा सूर्यदेव की पूर्व सन्तानों को कम मानने लगी और सेवा, सत्कार में विषमता कर दी। यम को यह बात सह्य न हुई। उन्होंने उसे मास्ने के लिये पैर उठाया। इसे देख छाया-संज्ञा ने शाप दे दिया कि तुम्हारा यह पैर पृथ्वी पर गिर जाय / इस बात से दुखी हो यम ने अपने पिता सूर्यदेव के पास जा कर कहा कि यह मेरी माता नहीं है / यह कोई दूसरी स्त्री है / अन्यथा यह अपने पुत्र को ऐसा कठोर शाप कैसे देती ? / यह सुन सूर्यदेव ने उस स्त्री से वस्तुस्थिति पूछी। पहले तो बताने में उसने कुछ आनाकानी की पर बाद में शाप के भय से सारी बातें बता दी / बात विदित हो जाने पर सूर्यदेव श्वशुर के घर गये और जब उन्हें ज्ञात हुआ कि संज्ञा वहाँ पाई थी अवश्य, पर पिता ने समझा बुझा उसे पतिगृह भेज दिया था, तब समाधि द्वारा सन्धान करने पर ज्ञात हुआ कि वह उत्तर कुरु में अश्वा के रूप में तपस्या कर रही है और चाहती है कि उसके पति का तेज सौम्य और सह्य हो जाय / यह जान सूर्यदेव ने विश्वकर्मा से अपना तेज कम करने को कहा / तेज कम करने के निमित्त विश्वकर्मा के यन्त्र-प्रयोग करते ही समस्त विश्व प्राकुल हो उठा। देवताओं ने प्रार्थना की कि वे अपनी इच्छा से अपने