________________ विषय अध्याय पृष्ठ राजकुमार ऋतध्वज द्वारा वराह के रूप में पातालकेतु राक्षस का वध, कुण्डला के सहयोग से उसका मदालसा से विवाह, नारी का महत्त्व और उत्तम, मध्यम तथा अधम मनुष्य का चिह्न 21 69-73 पातालकेतु के अनुज तालकेतु द्वारा ऋतध्वज की वञ्चना और उसकी मिथ्यामृत्यु का प्रचार तथा उसके पिता एवं माता के आदर्श उद्गार 22 73-76 मदालसा के मृत्यु-समाचार से ऋतध्वज की विकलता और उसके महनीय उद्गार 23 73-78 ऋतध्वज को नागलोक में नागराज अश्वतर द्वारा मदालसा की पुनः प्राप्ति 24 74-80 अपने प्रथम पुत्र विक्रान्त को मदालसा का शैशवकालीन अध्यात्म उपदेश __ 25 80-81 मदालसा के उपदेश से विक्रान्त, सुबाहु और शत्रुमर्दन इन तीन पुत्रों का अध्यात्मपरायण हो जाना, चौथे पुत्र अलर्क के नामकरण के प्रसंग में राजा के प्रति मदालसा द्वारा मनुष्य की. दार्शनिक व्याख्या तथा अलर्क को मदालसा द्वारा प्रवृत्ति धर्म का महत्त्वपूर्ण उपदेश 26 82-83 अलर्क को मदालसा द्वारा राजधर्म का उपदेश ___27 83-84 वर्णाश्रमधर्म का संकेत गृहस्थधर्म, वेदविद्या के महत्त्व तथा निर्धन के प्रति धनिक के कर्तव्य का संकेत 29 85 * तीस से छत्तीस तक के अध्यायों के विषयों का संकेत 85-86 अलर्क की शासनपद्धति, मोक्ष से उसकी विमुखता, सुबाहु से प्रेरित काशिराज द्वारा उसका राज्यहरण, मदालसा द्वारा दी गई रहस्यमय अंगूठी में अंकित उपदेश से योगी दत्तात्रेय के सानिध्य में आत्मज्ञान की प्राप्ति 37 86-87 दत्तात्रेय द्वारा ममता का वृक्षरूप में वर्णन और दुःख के कारण ___ ममता के नाशक सत्संग तथा ज्ञान का निरूपण ___38 88 मोक्ष, मोक्षोपाय, योग और प्राणायाम श्रादि योगाङ्गों का वर्णन 39 88-90 मोक्षमार्ग के विघ्न और उन्हें दूर करने का उपाय 40 90-91 / 28 84-85