________________ गोहलाणि / रूणिवाल / छलाणि / छोरिया (नौलखा) | (वैगाणी) (छजलाणि) (सामड़ा) (भूतोड़िया) | हिंगड़ (घोड़ावत) लोढ़ा पीपाड़ा (लिंगा) हीराऊ / सूरिय्य (हिरण) रायसोनी (केलाणि) (मठा) (गोगड़) / झाबड़ गोखरू- नाहर * (शिशोदिया) | (झाबक) (चौधरी) जड़िया श्री श्रीमाला | दुगड़ा जोगड़ नक्षत्र / ___ इन जातियों की वैंशावलिएँ खराड़ी, वलून्दा, पादू और नागौर के नागपुरिया तपागच्छोय महात्मा लिखते हैं। और उनके पास पूर्वोक्त जातियों की उत्पत्ति और खुर्शीनामा भी मिलता है। (4) बृहद् तपागच्छ-इस गच्छ में भी जगचन्द्रसूरि देवेन्द्रसूरि, धर्मघोषसूरि, सोमप्रभसूरि, सोमतिलकसूरि, देवसुन्दरसूरि, सोमसुन्दरसूरि, मुनि सुन्दरसूरि, रत्न शेखरसूरि आदि महान् प्रभाविक दिग्विजय कर्ता आचार्य हुए हैं। इन्होंने जैनधर्म की कीमती सेवा की और कई अजैनों को जैन भी बनाये / इनकी उपासक जातियों के नाम संक्षिप्त में यह है:वरदिया छत्रिया खजॉनची / चौधरी : (वरड़िया) लालाणी डफरिया सोलकी वरहुदिया) ललवाणी बुरड़ गुजरांणी बाठिया कछोला (शाह) राज गाँधी | मुनौयत | मरड़ेचा (हरखावत) / वैद गाँधी | पगारिया सोलेचा गाँधी सँधी