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________________ श्री अढार पापस्थान परिहारनी सज्झायो. १२५ ॥अदत्त परिहार सकायम्॥ (श्रीगुरु गौतम गुण हियडे धरो-ए देशी) अदत्त न लीजे रे प्राणी परतणूं। तृणा समाणू जेह ॥ सोना समवम परनव आपq । चोरी लीबूं तेह ॥॥चोरी परिहर प्राणी श्मगणी।चोरीए अपजस थाय ॥बंधन बेदन इह लोके लहे। परनव नरके जाय॥ (आंकणी ) चोरी॥ खेत्र खले घर अंगण वीसयु। मूक्युं ते व्यो कां ॥ थांपण परनी ओलवीये नहीं। श्म नाषे जिनरा॥२॥ चो० ॥ अधिकुं ले ओढुं नवि दीजे। मकरो वांनी जेल ॥ चोर सखायत वुह रति संगतें।म करो ते सूं मेल ॥३॥ चो॥ मातपिता मित्र बंधव बहिनमी। न धरे को विसास ॥ चोरथकी संकातं सवि रहे। लहे अचिंत्यो पास ॥४॥ चो॥ जिमको कांश व्ये धन आपणूं। तेथी जिम मुख होय॥ तिम पण परनं धन लेता सही। थाय ख मन जोय॥ ॥५॥चो॥ करणी बंमे वंचक चोरनी। ते सुख पामे सार ॥ जिम जग अंगज लोहखुरातणो । रोहण नाम
SR No.032735
Book TitleSazzay Sangraha Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarchandrasuri
PublisherGokaldas Mangadas Shah
Publication Year1922
Total Pages264
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size17 MB
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