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________________ कोचर कोचर गौत्र की उत्पत्ति कहते हैं कि राजा विक्रमादित्य और भोज के वंश में राजा महिपाजी नामक प्रसिद्ध राजा हुए। भआपने तपेगच्छ के आचार्य महात्मा पोसालिया से जैन धर्म अंगीकार किया। भापके कोचरनी मामक पुत्र उत्पन्न हुए । कोचरजी बड़े वीर पराक्रमी तथा साहसी पुरुष थे। भापके नाम से आपकी संताने कोचर कहलाई। कोचरजी के वंश में आगे जाकर जीयाजी रूपाजी आदि नामांकित व्यक्ति हुए जिनकी संतानें उनके नाम से जीयाणी रूपाणी कोचर आदि २ नामों से मशहूर हुई। कोचर पनराजर्जा का खानदान, सोजत इस खानदान के लोग पालनपुर से पुंगल, मंडोर, फलोधी तथा वहाँ से जोधपुर होते हुए महाराजा मानसिंहजी के समय में सोजत आये। इस परिवार में कोचरजी की मवी पीढ़ी में कुशालचंदजी हुए। इनके रूपचंदजी, सूरजमलजी, वहादुरमलजी तथा जोतमलजी नामक ४ पुत्र हुए। इन भ्रातानों में मेहता सूरजमलजी बहुत नामांकित पुरुष हुए। कोचर मेहता सूरजमलजी-महाराज मानसिंहजी के समय में आप बड़े प्रभावशाली व्यक्ति थे । सं० १८६२ में आपको मारवाड़ राज्य की दीवानगी का सम्मान मिला । इसके अतिरिक्त कई रुक्के देकर दरबार ने आपको सम्मानित किया। मेहता सूरजमलजी, जीतमलजी, प्रेमचन्दजी (खुशालचन्दजी के भतीजे) तथा सुरतानमलजी (बहादुरमलजी के पुत्र ) महाराजा मानसिंहजी के साथ जालोर घेरे में शामिल थे। मेहता सूरजमलजी अपने समय के बड़े प्रभावशाली व्यक्ति थे आपके बुधमलजी तथा मूलचन्दजी नामक र पुत्र हुए। मेहता बहादुरमलजी--आप भी बड़ी बहादुर प्रकृति के पुरुष थे । आप संवत् १८६६ की फागुन सुदी के दिन भीनमाल की लड़ाई में युद्ध करते हुए काम आये। भापके मारेजाने की दिलासा के लिए महाराजा मानसिंहजी ने एक रुका इस परिवार को दिया था। मेहता जीतमलजी-आप फलोधी और पाली के हाकिम रहे। आपने कई लड़ाइयों में युद्ध किया। संवत् १८६४ में आपको सोजत का सऊपुरा नामक गाँव जागीर में मिला । आपके उम्मेदमलजी तथा जवाहरमलजी नामक २ पुत्र हुए। १११
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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