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ओसवाल जाति का इतिहास डिस्ट्रिक्ट दरवारी है। आपके लाला प्यारेलालजी, नगीनालालजी, जंगीलालजी, शादीलालजी तथा मनोहरलालजी नामक ५ पुत्र मौजूद हैं।
लाला प्यारेलालजी बैङ्किग व्यापार सम्हालते हैं । लाला नगीनालालजी ने सन् १९२२ में बी. ए. तथा १९२४ में एल० एल० बी० पास किया। आप सियालकोट हिन्दू सभा के सेक्रेटरी हैं। आपके परिश्रम से यहां महावीर कन्या पाठशाला का स्थापन हुआ। आप शिक्षित तथा उत्साही सजन है तथा इस समय प्रेक्टिस करते हैं। लाला जंगीलालजी ने सन् १९२६ में एम० ए० तथा २८ में एल. एल. बी० की डिगरी हासिल की है। आप सबजजी की काम्पीटीशन परीक्षा में सेकण भावे । इस समय आप प्रेक्टिस करते हैं। इनसे छोटे शादीलाल जी जनरल मरचेंट हैं।
__लाला गोपालदासजी-लाला खजांचीशाहजी के पुत्र हैं । आप बी० एस०सी० एम० बी० बी० एस० हैं। आपने सबसे पहिले अपनी डिस्पेंसरी में एक्सरे की मशीन लगाई है। आप सियालकोट के मशहूर डाक्टर हैं। आपके छोटे भाई चैनलालजी, चिमनलालजी तथा रोशनलालजी अलग २ तिजारत करते हैं ।
लाला लखमीचन्दजी अपने बड़े भाता खजांचीशाहजी के साथ बैङ्किग व्यापार करते हैं। इनके पुत्र पूरनचन्दजी तथा शामलालजी है।
लाला काशीराम देवीचंद गधैया का परिवार. सियालकोट
इस खानदान वाले श्री जैन श्वेताम्बर स्थानकवासी सम्प्रदाय को मानने वाले सजन हैं। भाप लोगों का मूल निवासस्थान सियालकोट का ही है। इसका इतिहास लाला केशरशाहजी से प्रारम्भ होता है। लाला केशरशाहजी के गोबिन्दशाहजी और गोबिन्दशाहजी के जयदयालशाहजी नामक
___लाला जयदयालशाहजी बड़े धर्मात्मा पुरुष थे। आपने कपड़े के व्यवसाय में खुब सफलता प्राप्त की। आपका संवत् १९३४ में स्वर्गवास होगया है। आपके लाला पालाशाहजी, लालशाहजी, मिहालशाहजी, रूपाशाहजी, बधावाशाहजी, मथुराशाहजी एवम् काशीशाहजी नामक सात पुत्र हुए। व मान परिवार लाला काशीरामजी के वंश का है।
लाला काशीरामजी का जन्म संवत् १९११ में हुआ था। आप जैन सिद्धान्तों एवम् सूत्रों को खूब जानते थे। आप बड़े धर्मध्यामी सज्जन थे। आपको बसाती के कामों में काफी सफलता मिली। आपका स्वर्गवास संवत् १९८० में हुआ | आपके लाला लदूशाहजी, हंसराजजी, कुन्दनलालजी, देवीचन्दजी, नगीनालालजी एवम् जंगीलालजी नामक छः पुत्र हैं। आप सब भाइयों का जन्म, क्रमशः