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________________ बोसवाल जाति का इतिहास के जेठमलजी, राजकरणजी के इन्द्रचन्दजी, दीपचन्दजी के जयचन्दलालजी और मोहनलालजी प्रेमचन्दजी तथा सोहनलालजी नामक पुत्र है। सेठ पूरनचंदजी, हेमराजजी और चुन्नीलालजी चोपड़ा का खानदान सेठ पूरनचंदजी का जन्म संवत् १९४६ में, सेठ हेमराजजी का १९५० में और सेठ चुनीलालजी का १९५३ में हुआ। खेद है कि इनमें से सेठ चुन्नीलालजी का स्वर्गवास बहुत कम उम्र में संवत् १९९० में होगया। आप सब भाई भी बड़े योग्य और सजन व्यक्ति हैं। आप सब लोग भी कलकत्ते में अपनी फर्म के व्यापार संचालन में भाग लेते हैं। सेठ पूरनचन्दजी के छगनमलजी, केसरीसिंहजी और हंसराजजी नामक तीन पुत्र हैं बाबू छगनमलजी के मांगीलालजी नामक एक पुत्र है। सेठ हेमराजजी के तिलोकचन्दजीनामक एक पुत्र है। आप भी बड़े मिलनसार और योग्य सजन हैं। आपके रतनलालजी, मोतीलालजी और कन्हैयालालजी नामक तीन पुत्र हैं। सेठ चुनीलालजीके नेमचन्दजो और धनराजजी नामक दो पुत्र हैं आप दोनों विद्याध्ययन करते हैं। इस परिवार वालों का व्यापार संवत् १९६३ से १९९० तक मेसर्स हरिसिंह निहालचन्द के साझे में होता रहा। संवत् १९७१ में आप लोगों ने कलकरो में मेसर्स आसकरण लूणकरन के नाम से एक और फर्म खोली जो संवत् १९८४ तक चलती रही। इसके पश्चात् संवत् १९८५ में यह फर्म मेससं छगनमल तोलाराम के नाम से स्थापित हुई जो अभी चल रही है। इस फर्म पर जूट बेलिंग, शिपिंग, सेलिंग और कमीशन एजेन्सी का काम होता है। यह फर्म गंगानगर इण्डस्ट्रीज लिमिटेड की मैनेजिंन एजन्ट है। इस फर्म की शाखा कलकत्ता में मेसर्स चोपड़ा प्रोप्राइटीज एण्ड कम्पनी के नाम से है। इसके अण्डर में कलकत्ता काशीपुर में चौपड़ा बाजार के नाम से जूट के गोदाम, और बीकानेर रियासत के टीबी परगने में दो गाँव जमीदारी पर हैं इसके अतिरिक्त सिरसावाड़ी, सिरसागंज, पिंगना, भड़गामारी, फारबिसगंज, बनवन, रामनगर इत्यादि बंगाल के व्यापारिक केन्द्रों में इसकी शाखाएं हैं। इनमें से रामनगर नामक प्राम तो इसी फर्म के द्वारा जमीन खरीदकर बसाया गया है। देवल म्यापारिक दृष्टि ही से नहीं धार्मिक और सार्वजनिक कार्यों में भी इस परिवार ने समय समय पर काफो भाग लिया है और हमेशा लेता रहता है। इस परिवार ने बीस हजार रुपया हिन्दू युनिवर्सिटी बनारस को तथा नौ हजार राजलदेसर गर्ल स्कूल में प्रदान किया है । गुसाईसर में करीब २० हजार की लागत से एक कुंआ बनवाया। आप लोगों का विचार गंगाशहर में एक चौपड़ा हाईस्कूल खोलने का है इसके लिए आपने करीब ७० हजार गज जमीन खरीद कर रखी है। इस स्कूल में लगभग
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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