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________________ जोसी डोसी गौत्र की उत्पत्ति ऐसा कहा जाता है कि संवत् १९७ में विक्रमपुर में सोनगरा राजपूत हरिसेन रहता था। आचार्य श्री जिनदचसूरिजी ने इसे जैकप्रतिसेच देकर ओसवाल जाति में मिलाया और डोसी गौत्र की स्थापना की। मिक्खूजी डोसी का खानदान, उदयपुर : सामान में मिवजी प्रेसी बड़े प्रसिदए । मापने महाराणा राजसिंहजी (प्रथम) ग प्रयांका दिया। मापही की निगरानी में उदयपुर का मनहरू राजसमा नामक सावन काम जारी हुन एवम् पूर्ण हुआ। इस तालाब के बनवाने में १०५०७६०८) खर्च हुए। इस बाल बनाने पर महाराणा राजसिंहबी ने इसके उद्घाटनोत्सव के समय पर कई लोगों को कई तरह के इमाम व इज्जत प्रदान की थी। मेसी मिाखूजी को भी इस अवसर पर महाराणा ने एक हाथी और सिरोपाव प्रदान कर मनन सम्बार पानामा महाराणा सासिंहजी पवे समय में राजनगर नामक स्थान पर विशेष रहते थे। कहना न होगा कि उनके प्रधान सी भिखोजी को भी नहीं रहना पड़ता था। मापने वहाँ एक सुन्दर मकान बनवाया था जो कि वर्तमान में भी डोसीजी के महल के नाम से मशहूर है। इसके अतिरिक्त आपने यहां एक सुन्दर सफेद पत्थर की बावड़ी और एक बाड़ी भी बनवाई थी। उक्त तीनों चीजें इस समय भी आपके खानदान वालों के कब्जे में हैं। ___उदयपुर में आपने वासपूज्य स्वामी का एक सुन्दर कांच का मन्दिर बनवाया । इसके अतिरिक्त ऋषभदेवजी के मन्दिर के पास में भी आपने एक उपाश्रय बनवाया था। जो वर्तमान में वासपज्यजी मन्दिर के ताल्लुक में मौजूद है। लिखने का मतलब यह किमाने समय में बहुत से अच्छे अच्छे काम किये। तथा महाराणा साहब भी आप पर बहुत प्रसव रहे। मापके कुछ पीढ़ियों पश्चात् क्रमशः रायचन्दजी, धनराजजी, रामलालजी, चन्दनमसजी और अम्बालालजी हुए। १००
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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