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प्रोसवाल जाति का इतिहास
___ आपके बड़े पुत्र मनोहरलालजी है। इस समय आप एम० ए० एल० एल० बी० के फायनल में पढ़ रहे हैं तथा छोटे पुत्र पावचन्दजी एफ० ए० में विद्याध्ययन कर रहे हैं तथा प्रकाशमलजी मिडिल में पढ़ रहे हैं ।
- सेठ श्रीमालजी भी केशरियाजी की प्रबन्ध कारिणी समिति के मेम्बर थे । आपके पुत्र सेठ चुनीलाल जो भी सरिचाजी की प्रबन्ध कारिणी के मेम्बर रहे । आपका स्वर्गवास संवत् १९८२ की भासोजसुदी ९ में हो गया । आपके दो पुत्र हैं जिनके नाम फतेलालजी तथा ओंकारलालजी है । फतेलालजी म्यु. बोर्ड में मेम्बर रह चुके हैं। वर्तमान में आप दोनों ही सज्जन फर्म का संचालन करते है। फतेकाजी के पुत्र रणजीतलालजी मेट्रिक में पढ़ रहे हैं तथा लक्ष्मीलालजी के पुत्र रखबलालजी बालक हैं।
इस खानदान की विशेषता यह है कि बिना किसी विरोध के पांच पीढ़ियों से आप लोग शामिल पवसाय कर रहे हैं। इस परिवार को उदयपुर में बहुत अच्छी प्रतिष्ठा है।
मुरडिया
मुरड़िया गौत्र की उत्पत्ति
मण्डोवर नगर के राठोड़ वंशीय राजा चम्पकसेन बड़े मशहूर हो गये हैं। आप ठाकुर गौत्र के थे। भापको जैनाचार्य श्री कनकसेनजी ने जैन धर्म का प्रतिबोध देकर भावक बनाया। जागे चल कर आपके सानदाल में सीगलजी, अजयभूतजी, संतकुमारजी, मजवपालजी तथा आमाजी नामक प्रसिद्ध पुरुष हुए नाप लोगों ने हजारों लाखों रुपये भत्रुजय, गिरनार मादि तीर्थों के संघ निकालने में, मंदिर बनवाने में तथा बढे २ स्वामि वत्सल करने में खर्च किये थे । इसो परिवार में अजयपालजी की भार्या लुणादे सती हुई जिनका चबूतरा भीनमाल के पश्चिम दिशा में तालाब के किनारे बना हुआ है।
कहा जाता है कि उक्त मामाजी के यहाँ दाँत का व्यापार होता था । एक समय मापने एक व्यापारी को दांत नहीं बेचे और बहुत मरोड़ की। इस व्यापार में दो लाख का नुकसान गया । फिर मी दाँत नहीं बेचे । इस मरड़ से आप मुरदिया नाम से मशहूर हुए। तभी से मुरलिया वंश की स्थापना हुई।
मुरड़िया परिवार का परिचय, उदयपुर उपरोक्त आमाजी के वंशजों में शिवदासजी मुरदिया नामक प्रभावशाली व्यक्ति हो गये हैं । आपके भोजाजी, रावतजी, हीराजी तथा खेमाजी नामक चार पुत्र हुए। आप लोगों का मूल निवासस्थान भीन