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रतनपुरा-कटारिया वर्तमान है। वर्तमान में आप आमेठ ठिकाने की मामालिनी के मैनेजर हैं। इसके पहले भी आप पारसोली, कोरिया, और धरियावद ठिकाने मेजर रहा है।
उपरोक्त वर्णन पढ़ने से यह अनुमान सहज ही निकलता है कि इस परिवार के लोगों ने रियासत उदयपुर में बहुत इमानदारी, सच्चाई, बोन्पा मोर दिमार्नी के साथ राज्य कार्य किया । इसी लिबे मेवाद के महाराणाओं ने प्रसन्न होकर समय २ पर आप लोगों को बहुत सम्मान और इज्जत प्रदान की। इस समय भी यह खानदान उदयपुर में गुसप्रतिक्षित और माननीय घरानों में से एक माना जाता है।
ताबाजी के वंशज ___ सलखाजी के पुत्र ताणानी के वंश में संवत् १७०५ में मेहता सांवलदासजी हुए। जो राजकर्मचारी रहे। आपके मामदासजी नामक पुत्र हुए। आपने अपने नाम से उदयपुर में मालसेरी नामक मोहल्ला बसाया। इन्हीं के वंश में भागे चलकर मेहता विजयचन्दजी हुए । आप मेवाड़ में बदलाबाद और भोमराड नामक टेक्स वसूली पर नियुक्त हुए। इसकी सफलता देखकर आपको सरकारी धोदा मी बक्षा गया। इनके चौथे पुत्र मोहकमसिंहजी बड़े यशस्वी और कार्यकुशल हुए । आपमी अपने पिताजी की तरह राज कार्य में सामिल हुए। आपने अपने जीवन में महाराणा साहब की बहुत अच्छी सेवाएं की। जिनसे प्रसन्न होकर महाराणा सरूपसिंहजी ने आपको जागीर में एक गांव वक्षा । • आपके तीन पुत्र हुए जिनके नाम क्रमशः मेहता माधौसिंहजी, मदनसिंह जी और मालमसिंहजी थे। जो मेवाड़ के भिन्न २ जिलों में हाकिम रहे। इसके पश्चात् मालमसिंहजी को, महाराणा साहब ने अपनी पुत्री का विवाह जोधपुर नरेश सरदारसिंहजी के साथ होने से वहाँ कामदार बनाकर भेजा । ये अपने जीवन पर्यंत जोधपुर रहे। आपके पुत्र मोतीसिंहजी नावालिग ठिकाना पारसोली, सरदारगढ़ और धरियावद के मैनेजर रहे। हाल में आप देवली वकीक है। भापके बड़े पुत्र गोवर्धनसिंहजी बी. ९. एल. एल. बी० हैं। और इस समय में मेवाद स्टेट में असिस्टेंट सेटलमेंट भाफिसर हैं। आप मनो. हरसिंहजी के दत्तक हैं।
कटारिया मेहता नाथूलालजी का खानदान, सीतामऊ
उपर भोपालसिंहजी के परिवार में हम यह लिख ही चुके हैं कि यह परिवार कुंपाजी का है। कुंपाजी के तीन भाई और थे । जिनमें से हाफणजी का वंश चला । हाफणजी के जिन्दाजी और जेसाजी नामक दो पुत्र हुए। जेसाजी के पश्चात् क्रमशः हाथाजी, मरवरजी, हासाजी, भेलूजी, और नाथाजी हुए। मायानी के भाई पवाजी के पुत्र प्रेमचन्दजी की श्री प्रेमसुखदे इनके साथ क्षती हुई।