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श्रीसवाल जाति का इतिहास
सिरोपाव भेज मेहता पूनमचन्दजी को सम्मानित किया। संवत् १९३२ में आपका स्वर्गवास हुआ आपके पुत्र मेहता गणेशचन्दजो हुए ।
मेहता किशनचन्दजी - आप मेहता मुकुन्दचन्दजी के छोटे पुत्र थे तथा मेहता लालचन्दजी के नाम पर दत्तक गये । परवतसर और जोधपुर की हाकिमी करने के पश्चात् आप घोड़ों के तबेलों के
अफ़सर हुए ।
मेहता शिवचन्दजी — आप मेहता समरथमलजी के पुत्र थे । आप भी कई स्थानों के हाकिम रहे । संवत् १९५३ में आपका देहान्त हुआ। आपको भी पालकी सिरोपाव का सम्मान मिला था । मेहता चाँदमलजी के बड़े पुत्र कानमलजी आपके नाम पर दत्तक गये ।
मेहता गणेशचन्दजी - आप मेहता पूनमचन्दजी के पुत्र थे । आप क्रमशः जैतारण, मारोठ, परबतसर, जालौर, सांचोर और भिनमाल के हाकिम रहे। फिर जालौर के कोतवाल और एजेन्टी के वकील बनाए गये आपको भी सिरोपाव, पैरों में सोना, बैठने का कुरब और डावा बन्द इनायत हुआ । इसके पश्चात् कुछ समय आप एजेण्ट जोधपुर के वकील रहकर बाद में जोधपुर की कौंसिल के मेम्बर हुए इसके साथ २ आप महकमा वाकयात, खासगी दुकानों और स्टेट ज्वैलरी के भी आफिसर रहे। आपके नाम पर मेहता सुमेरचन्दजी दत्तक लिये गये ।
मेहता चाँदमलजी - आपका जन्म संवत् १९३४ में हुआ। आप मेहता कुन्दमलजी के नाम पर दत्तक आये । आप बड़े योग्य और प्रतिष्ठित व्यक्ति हैं । संवत् १९४२ में महाराजा जसवन्तसिंहजी आपको पालकी और सिरोपाव इनायत किया । इसी वर्ष इनके पिता कुन्दनमलजी की मातम पुर्सी के लिए महाराजा जसवन्तसिंहजी, प्रतापसिंहजी और किशोरसिंहजी इनकी हवेली पधारे। इनकी शादी के समय इन्हें पालकी और सिरोपाव इनायत हुआ । संवत् १९५६ में महाराजा सरदारसिंहजी ने आपको पैरों में सोना, हाथी सिरोपाव तथा ताजीम बख्शी और जालसू नामक गाँव पट्टे दिया । १९६८ में आप स्टेट ज्वैलरी के मेम्बर हुए। आपके कानमलजी और सरदारमलजी नामक दो पुत्र हुए। मेहता शिवचन्दजी के नाम पर दत्तक गये ।
इनमें कानमलजी
मेहता सुमेर चन्दजी - आपका जन्म सं० १९४५ में हुआ। आप जोधपुर में बड़े प्रभावशाली पुरुष हैं। वहाँ के मुत्सुद्दी खानदानों में आपकी अच्छी प्रतिष्ठा है आपकी मारवाड़ प्रान्त में कई स्थानों पर दुकानें हैं। आप शुरू २ में पाली के हाकिम हुए, उसके पश्चात् क्रमशः जोधपुर के ज्वाइण्ट कोतवाल, सुपरिटेण्डेण्ट एक्साईज और साल्ट और स्टॉम्प और रजिस्ट्रेशन डिपार्टमेण्ट के सुपरिटेण्डेण्ट हैं । जोधपुर के
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