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रामजी, खूबचन्दजी के नाम पर दत्तक गये हैं। यह परिवार नरसिंहपुर के व्यापारिक समाज में बड़ा प्रतिण्ठित माना जाता है। आपके यहाँ लकड़ी, गला और कपड़े का ब्यापार होता है। सेठ टीकारामजी का जन्म संवत् १९५७ में हुभा।
इसी तरह सेठ जुहारमलजी के पुत्र मोतीलालजी और हीराचन्दजी जुहारमक बच्छराज के नाम से मरसिंहपुर में व्यापार करते हैं। आप सब सजन यहाँ अच्छे प्रतिष्ठित माने जाते हैं।
सेठ मुल्तानमल हरकचन्द लुणावत, लोनावला - इस कुटुम्ब का मूलनिवास खींवसर (जोधपुर स्टेट) में है । यहां से इस परिवार के सेठ मुलतानमलजी लगभग सौ साल पहिले लोनावला-खटकाला आये। आपका संवत् १९६५ में शरीरान्त हुभा । भापके पुत्र हरकचन्दजी का जन्म संवत् १९३३ में हुआ। आप दोनों सज्जनों ने इस दुकान के व्यापार को तरको दी। यह कुटुम्ब लूनावला के ओसवाल समाज में अपनी अच्छी इज्जत रखता है। भापके यहाँ मुलतानचन्द हरकचन्द के नाम से किराना तथा अनाज का म्यापार होता है।
सेठ गुलाबचन्द अमरचन्द लुणावत, लोनावला __आपका निवास भी खींवसर (जोधपुर स्टेट) में है। सेठ कपरचन्दजी के पाँच पुत्र थे। उनमें मुलतानमलजी दूसरे तथा गुलाबचन्दजी पाँचवें पुत्र थे। संवत् १९५८ में सेठ गुलाबचन्दजी देश से लूनावला आये तथा किराने व अनाज का थोक व्यापार शुरू किया । आपका सम्वत् १९६३ में शरीरावसान हुआ। आपके पुत्र अमरचन्दजी तथा हंसराजजी हुए। इनका जन्म १९४३ तथा १९४९ में हुआ। आप दोनों बन्धुओं के हाथों से व्यापार को तरक्की मिली । हंसराजजी लोनावड़ा म्यु० के मेम्बर रहे तथा हरएक सार्वजनिक कामों में भाग लेते हैं। आप चिंचवड विद्यालय के कार्यों में भी दिलचस्पी लेते हैं। अमरचन्दजी लूनावड़ा के अच्छे प्रतिष्ठित व्यापारी हैं। आपके यहाँ किराना तथा अनाज का व्यापार होता है। अमरचंदजी के पुत्र कचरदासजी है । तथा हंसराजजी के पुत्र मोहनलालजी तथा शान्तिकाराजी पढ़ते हैं।